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नेस्ले बेबी फूड्स में एक्सट्रा शुगर तय सीमा के अंदर: चेयरमैन बोले- 100 ग्राम फीड में 13.6 ग्राम तक की अनुमति, सेरेलेक में केवल 7.1 ग्राम

 

नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) सुरेश नारायण (फाइल फोटो)

FMCG कंपनी नेस्ले ने बेबी प्रोडक्ट ‘सेरेलेक’ में एक्सट्रा शुगर मिलाने वाले मामले में अपनी सफाई दी है। कंपनी ने कहा है कि वह भारत में किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं करती है।

 

नेस्ले इंडिया के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) सुरेश नारायण ने बताया कि भारत में बिकने वाले नेस्ले सेरेलेक में शुगर की मात्रा फूड रेगुलेटरी FSSAI की तय की गई सीमा के अंदर है।

सुरेश ने बताया कि लोकल मानकों (FSSAI) के हिसाब से 100 ग्राम फीड (सेरेलेक) में एक्सट्रा शुगर की अधिकतम मात्रा 13.6 ग्राम होनी चाहिए, जबकि नेस्ले बेबी फूड में यह 7.1 ग्राम होता है।

उन्होंने कहा, ‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस प्रोडक्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे बच्चे को किसी प्रकार का जोखिम या नुकसान हो।’

MD बोले गरीब देशों में एक्सट्रा शुगर मिलाने के आरोप गलत
गरीब देशों में एक्सट्रा शुगर मिलाने के आरोप पर नारायण ने कहा कि एशिया और यूरोप के मार्केट में ‘एक्सट्रा शुगर’ प्रोडक्ट और ‘नो एडेड शुगर’ दोनों तरह के प्रोडक्ट मिलते हैं। यह बच्चों के पेरेंट के ऊपर होता है कि वे किसे चुनते हैं।

पब्लिक आई की रिपोर्ट में थी एक्सट्रा शुगर की बात
इसी महीने स्विट्जरलैंड की ‘पब्लिक आई’ और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि नेस्ले भारत सहित एशिया और अफ्रीका के गरीब देशों में बिकने वाले बच्चों के दूध और सेरेलेक जैसे फूड प्रोडक्ट्स में अतिरिक्त शक्कर और शहद मिलाती है।

कंपनी ने कहा था स्थानीय मानकों का पालन करते हैं
इस रिपोर्ट के आने के बाद केंद्र सरकार ने मामले की जांच कराने की बात कही थी। स्टॉक एक्सचेंज (BSE, NSE) ने भी कंपनी से मामले पर सफाई मांगी थी। जिसमें कंपनी ने कहा, बेबी फूड हाइली कंट्रोल्ड कैटेगरी में आते हैं। हम जहां भी काम करते हैं, वहां के स्थानीय कानून और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं।

‘पब्लिक आई’ और IBFAN के रिपोर्ट की 4 बातें…

  • पब्लिक आई एंड इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीका में बिकने वाले छह महीने तक के बच्चों के लिए गेंहू से बने लगभग सभी बेबी फूड्स में प्रति कटोरी (1 सर्विंग) में एवरेज 4 ग्राम शुगर की मात्रा पाई गई। पब्लिक आई ने इन देशों में कंपनी के 150 प्रोडक्ट्स की जांच बेल्जियम के लैब में की थी।
  • सबसे ज्यादा फिलीपींस में 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर मिली। वहीं, नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर बेबी फूड्स में देखने को मिली। इसके अलावा, 15 में से सात देशों ने प्रोडक्ट के लेवल पर शुगर होने की जानकारी ही नहीं दी।
  • रिपोर्ट के मुताबिक, नेस्ले भारत में करीब सभी बेबी सेरेलेक प्रोडेक्ट्स के हर एक सर्विंग में औसतन करीब 3 ग्राम शक्कर मिलाती है। वहीं, 6 महीने से 24 महीने तक के बच्चे के लिए बिकने वाले 100 ग्राम सेरेलेक में टोटल 24 ग्राम शुगर की मात्रा होती है।
  • रिपोर्ट में नेस्ले पर यह आरोप लगाया गया है कि नेस्ले अपने प्रोडेक्ट्स में मौजूद विटामिन, खनिज और अन्य पोषक तत्वों को प्रमुखता से उजागर करती है, लेकिन शुगर मिक्स के मामले में कंपनी पारदर्शी नहीं है। WHO की गाइडलाइन के मुताबिक 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भोजन में कोई शुगर या मीठे पदार्थ का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

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FMCG कंपनी नेस्ले (Nestle) के बेबी फूड्स प्रोड्क्ट्स में एक्स्ट्रा शुगर मिलने की बात सामने आई है, जिसके बाद केंद्र सरकार ने इसकी जांच कराने की बात कही है। दरअसल, स्विट्जरलैंड की पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि नेस्ले भारत सहित एशिया और अफ्रीका के देशों में बिकने वाले बच्चों के दूध और सेरेलेक जैसे फूड प्रोडक्ट्स में अतिरिक्त शक्कर और शहद मिलाती ह

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