Income Tax on Gold Jewellery: ज्वैलरी को बेचने पर आपको कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। हालांकि एक तरीका ऐसा है कि, जिससे आप इस कैपिटल गेन टैक्स का भुगतान करने से बच सकते हैं। इसके लिए आपको इनकम टैक्स एक्ट की धारा 54F के तहत मिले टैक्ट छूट करना होगा। यह धारा कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति को बेचता है और उससे मिली पूरी राशि का इस्तेमाल एक घर को खरीदने में करता है, तो वह टैक्स में छूट की मांग कर सकता है। इस संपत्ति में स्टॉक्स और बॉन्ड्स के साथ-साथ ज्वैलरी व गोल्ड भी आते हैं। इसका मतलब है कि अगर आप ज्वलैरी को बेचते हैं, और उससे मिली पूरी राशि को घर खरीदने में निवेश कर देते हैं, तो आप टैक्स देने से बच सकते हैं।
हाल ही में बेंगलुरु की एक इनकम टैक्स अपीलेट ट्राइब्यूनल (ITAT) ने भी इस नियम को स्पष्ट किया है। ट्राइब्यूनल के सामने एक मामला आया था, जिसमें व्यक्ति ने विरासत में मिले ज्वैलरी को बेचकर उससे मिले पैसों को एक हाउस प्रॉपर्टी में निवेश किया था। हालांकि असेसी ऑफिसर ने उस व्यक्ति को धारा 54F के तहत मिली छूट देने से इनकार कर दिया था और ज्वैलरी बेचने से हुए लाभ पर टैक्स की मांग की थी।
यह मामला कोर्ट में गया, जहां बेंगलुरु स्थित ITAT ने व्यक्ति के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि वह धारा 54F के तहत लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर छूट पाने का अधिकार है। साथ ही इस फैसले से यह भी साफ हो गया है कि आप विरासत में मिले गोल्ड और ज्वैलरी को बेचने पर भी यह टैक्स लाभ ले सकते हैं।
अभी के नियमों के मुताबिक, ज्वैलरी को 3 साल से अधिक समय तक होल्ड करने के बाद बेचते हैं, तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है, जो अभी 20 प्रतिशत के करीब है। वहीं अगर आप 3 साल से कम समय में ज्वैलरी बेचते हैं, तो आपको शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है, जो इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से देना पड़ता है।
हालांकि सेक्शन 54F के तहत कोई व्यक्ति तभी लाभ उठा सकता है, जब उसने ज्वैलरी बेचने के एक साल पहले या दो साल बाद तक घर खरीदा लिया हो। या फिर ज्वैलरी बेचने के 3 साल के भीतर उसकी हाउस प्रॉपर्टी का कंस्ट्रक्शन पूरा हो जाए। इसके अलावा यह भी ध्यान दिया जाना कि यह छूट सिर्फ रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी पर है। अगर आप कमर्शियल प्रॉपर्टी लेते हैं, तो आप इस टैक्स छूट का लाभ नहीं ले सकते हैं।