म्यूचुअल फंड्स में फर्जीवाड़ों पर लगाम लगाने के लिए सेबी ने 30 अप्रैल को कई कदमों की जानकारी दी। सेबी बोर्ड ने म्यूचुअल बोर्ड के लिए नियमों में बदलावों का फैसला लिया है। इनमें किसी भी गड़बड़ी की संभावना की पहचान और उसकी रोकथाम के लिए मेकेनिज्म जैसे कदम शामिल हैं। इसके साथ ही बैठक में सेबी ने इक्विटी पैसिव फंड्स के लिए निवेश नियमों में भी राहत देने का एलान किया है। इसके अलावा सेबी ने कई ऐसे कदमों का भी ऐलान किया है जिससे मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन यानी एमआईआई के लिए कारोबार में आसानी बढ़ेगी।
क्या है सेबी के फैसलों में खास
सेबी के फैसलों के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी के पास एक इंस्टीट्यूशनल मेकेनिज्म होना चाहिए जो बाजार में गड़बड़ी की संभावनाओं का पता लगा सके और उन्हें रोक सके। मेकेनिज्म के तहत निगरानी के सिस्टम, आंतरिक स्तर पर गड़बड़ियों पर नियंत्रण की प्रक्रिया होगी, मैकेनिज्म फ्रंट रनिंग, इनसाइडर ट्रेडिंग, संवेदनशील जानकारियों के गलत इस्तमाल की पहचान करेगा। उन पर नजर रखेगा और उनसे निपटेगा।
सेबी ने ऐसे सुधार को मंजूरी दी है जिसकी मदद से एएमसी मैनेजमेंट की जिम्मदारी और जवाबदेही दोनों ही बढ़ेगी। इसके अलावा, एएमसी में व्हिसल ब्लोअर मेकेनिज्म की वजह से पारदर्शिता बढ़ेगी।
इसके साथ ही एसबीआई ने इक्विटी पैसिव स्कीम की राहत के लिए सुधार का ऐलान किया है। इस सुधार की मदद से वह अंडरलाइन इंडेक्स में शामिल स्टॉक्स के वेटेज तक अपना एक्सपोजर ले सकते हैं। यह सीमा 35 पर्सेंट तक होगी। फिलहाल, म्यूचुअल फंड्स स्कीम ग्रुप कंपनियों के स्पॉन्सर में अपने एनएवी का 25 पर्सेंट से ज्यादा एक्सपोजर नहीं ले सकती। इसके अलावा, मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन यानि एमआईआई के लिए कारोबार में आसानी को बढ़ाने के लिए कई प्रस्तावों को भी मंजूरी दी है। वहीं, सेबी ने InvIT और REITs से जुड़े नियमों में बदलाव किए हैं।