इन्वेस्को ऐसेट मैनेजमेंट, उसके मुख्य कार्याधिकारी सौरभ नानावती और चार अन्य ने बाजार नियामक सेबी के साथ म्युचुअल फंड और पोर्टफोलियो प्रबंधन मानकों के कथित उल्लंघन से जुड़ा मामला सुलझा लिया है।
एएमसी और अन्य ने सेबी की निपटान व्यवस्था के तहत संयुक्त रूप से 4.98 करोड़ रुपये का भुगतान कर यह मामला सुलझा लिया है। बाजार नियामक को उनसे यह शपथ पत्र मिला था कि इस तरह की खामियों को बार बार होने से रोकने के लिए व्यवस्था की गई है।
2021 में की गई जांच में सेबी ने पाया कि पोर्टफोलियो प्रबंधन गतिविधियों और फर्म की म्युचुअल फंड गतिविधियों के बीच कोई स्पष्ट अंतर नहीं था। इसके अलावा पीएमएस इकाई के पास पर्याप्त मानव श्रम और इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है और न ही उसने एमएफ कारोबार से दूरी ही बना कर रखी।
नियामक ने अगस्त 2023 में जारी कारण बताओ नोटिस में आरोप लगाया था, ‘इंटर स्कीम ट्रांसफर किए गए और सेबी (म्युचुअल फंड)नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए इनवेस्को एमएफ और पीएमएस एडवाइजरी की योजनाओं के बीच प्रतिभूतियों / पूर्व-व्यवस्थित ट्रेड्स/लेयर्ड ट्रेड हुए।
एएमसी ने तथ्यों के खुलासे को स्वीकार या इनकार किए बगैर सेटलमेंट के लिए आवेदन किया था। सेबी ने अपनी उच्च पदस्थ सलाहकार समिति की सिफारिश के बाद इस मामले का निपटान कर दिया है।
इन्वेस्को म्युचुअल फंड (एमएफ) भारत में 74,300 करोड़ रुपये से अधिक की एयूएम (मार्च तिमाही में) के साथ 17वां सबसे बड़ा फंड है। इस महीने के शुरू में हिंदुजा समूह की इंडसइंड इंटरनैशनल होल्डिंग्स (आईआईएचएल) ने इन्वेस्को की घरेलू इकाई इन्वेस्को ऐसेट मैनेजमेंट इंडिया (आईएएमआई) में 60 प्रतिशत हिस्सा खरीदकर परिसंपत्ति प्रबंधन क्षेत्र में प्रवेश किया है।