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Vodafone को अतिरिक्त ऋण: बैंक पहले भुगतान क्षमता की जांच करेंगे

वाणिज्यिक बैंक दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vi) को ऋण देने से पहले अगले 4-5 साल के लिए कंपनी की सभी देनदारियों और उनके पुनर्भुगतान कार्यक्रम पर विचार करेंगे।

सार्वजनिक क्षेत्र के एक बड़े बैंक के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ऋणदाताओं को कर्ज के बारे में फैसला करने से पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि दूरसंचार कंपनी ऋण चुकाने की स्थिति में होगी। कंपनी को ऋणों के जरिये करीब 25,000 करोड़ रुपये जुटाने की जरूरत होगी।

अधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध पर कहा, ‘पहले हमने कहा था कि बैंकों को ऋण देने से पहले कंपनी को इक्विटी बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कोष जुटा लिया है। लेकिन हमें उनकी देनदारी से संबंधित भुगतान सारिणी देखने की जरूरत होगी।’

अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा नहीं होना चाहिए कि वे अन्य देनदारियों की वजह से बैंक ऋण चुकाने में विफल रहें।’ उन्होंने कहा कि वोडाफोन आइडिया की घटती बाजार भागीदारी से जुड़ी चिंताएं बरकरार हैं। वी को इस संबंध में भेजे गए ईमेल का अभी तक जवाब नहीं मिला है।

मार्च में वी के शेयरधारकों ने इक्विटी और ऋण दोनों के जरिये 45,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना को मंजूरी दी थी। इसमें से 18,000 करोड़ रुपये कंपनी ने हाल में समाप्त एफपीओ के जरिये जुटाए हैं। सोमवार को समाप्त इस सबसे बड़े एफपीओ को निवेशकों से शानदार प्रतिक्रिया मिली। इस एफपीओ को 6.4 गुना आवेदन मिले थे।

वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के अंत में वी पर 2.14 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम सकल ऋण था। इसमें लीज देनदारी शामिल नहीं है। हालांकि दूरसंचार कंपनी के लिए राहत की बात यह है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कर्ज 7,140 करोड़ रुपये तक घटकर तीसरी तिमाही के अंत में 6,050 करोड़ रुपये रह गया जो एक साल पहले 13,190 करोड़ रुपये था।

इसके बावजूद कंपनी 2024 में 5,400 करोड़ रुपये के कर्ज का भुगतान शुरू कर रही है। कंपनी को अक्टूबर 2025 और मार्च 2026 के बीच सरकार को 12,000 करोड़ रुपये बतौर मूल और ब्याज चुकाने हैं। उसके बाद पांच साल (वित्त वर्ष 2027 से वित्त वर्ष 2031 तक) तक उसे हर साल 43,000 करोड़ रुपये चुकाने की जरूरत होगी।

इस समय सरकार वोडाफोन-आइडिया की सबसे बड़ी ऋणदाता है। उसके पास 16,000 करोड़ रुपये के बकाया ब्याज के बाद मिली कंपनी की 33.4 प्रतिशत इक्विटी हिस्सेदारी है। एजीआर और स्पेक्ट्रम किस्तों की वजह से कंपनी पर सरकार का ब्याज बढ़ गया था।

पिछले सप्ताह कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी अक्षय मूंदड़ा ने कहा कि आर्थिक रूप से संकटग्रस्त दूरसंचार कंपनी सरकार को बकाया राशि को इक्विटी में बदलने का विकल्प अपना सकती है। उद्योग के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी ऋण जुटाने के लिए ऋणदाताओं के साथ साथ अन्य पक्षों से लगातार बात कर रही है।

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