प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्मों इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज (IIAS), स्टेकहोल्डर्स एम्पावरमेंट सर्विसेज, इनगवर्न और इंस्टिट्यूशनल शेयरहोल्डर सर्विसेज (ISS) ने टाटा मोटर्स के डीवीआर शेयरों को सामान्य शेयरों में बदलने की योजना वाले प्रस्ताव पर मतदान की सिफारिश की है।
वाहन दिग्गज के इस प्रस्ताव पर मतदान शुक्रवार से शुरू होगा। इसके लिए डीवीआर और सामान्य दोनों कंपनियों के शेयरधारकों के अल्पांश मतों के बहुमत की दरकार होगी।
मतदान की सिफारिश करने वाली ज्यादातर फर्मों का मानना है कि डीवीआर समाप्त करने के कदम से टाटा मोटर्स के पूंजी ढांचे के सरल होने में मदद मिलेगी जिससे कई फायदे होंगे।
आईएसएस ने एक नोट में कहा कि योजना का मकसद कंपनी के पूंजी ढांचे को अभीष्टतम करना और डीवीआर शेयरों पर छूट समाप्त कर बाजार पूंजीकरण में बढ़ोतरी करना है। साथ ही, इस कदम का शेयरधारकों पर कोई प्रतिकूल असर नहीं होगा।
आईआईएएस ने एक नोट में कहा कि इससे कंपनी का पूंजी ढांचा सरलीकृत और एकीकृत होगा और दोनों शेयरों के बीच प्राइस डिस्काउंट समाप्त हो सकेगा। इससे कंपनी के कुल पूंजी आधार में कमी आएगी और सभी शेयरधारकों के लिए प्रति शेयर आय में 4 फीसदी वृद्धि होगी। इससे कुल बाजार पूंजीकरण सुधारने में भी मदद मिलेगी।
इस योजना की घोषणा पहली बार पिछले साल जुलाई में हुई थी जिसमें 10 डीवीआर (ए-ऑर्डिनरी शेयर) शेयरों के बदले टाटा मोटर्स के सात शेयर जारी किए जाएंगे। इसके बाद सभी ए-ऑर्डिनरी शेयर रद्द हो जाएंगे। टाटा मोटर्स का सामान्य शेयर और ए-ऑर्डिनरी शेयर क्रमश: 992 व 664 रुपये पर बंद हुआ। आखिरी बंद भाव और अदला-बदली अनुपात के मुताबिक डीवीआर अभी भी सामान्य शेयरों के मुकाबले 4.4 फीसदी छूट पर उपलब्ध हैं।
एसईएस ने अपने नोट में कहा कि टाटा मोटर्स को दो अलग-अलग सूचीबद्ध इकाइयों में बांटने के प्रस्ताव पर जगुआर लैंड रोवर निर्माता को आगे बढ़ने के लिए डीवीआर खत्म करना जरूरी है। इस साल टाटा मोटर्स ने कहा है कि वह दो अलग-अलग कंपनियां बनाएगी, जिसमें एक में वाणिज्यिक वाहन कारोबार होगा और दूसरे में जेएलआर समेत यात्रा वाहन कारोबार होगा।
एसईएस ने कहा कि कारोबार अलग करने के बाद नई कंपनी पर डीवीआर जारी करने पड़ते जो मौजूदा कानून के तहत संभव नहीं है और इस मामले में किसी भी तरह की छूट का कोई रास्ता भी नहीं है। अगर डीवीआर को रद्द नहीं किए जाते तो नई कंपनी को भी डीवीआर जारी करने पड़ते। कुछ निश्चित खुदरा शेयरधारकों की चिंता के बीच टाटा के प्रस्ताव को तीन प्रॉक्सी फर्मों का समर्थन देखने को मिला है। कुछ निवेशकों का कहना था कि इस प्रस्ताव से इकनॉमिक वैल्यू का नुकसान हो सकता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के सवाल के जवाब में टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा कि इस अदला-बदली से कंपनी को वित्तीय रूप से कोई लाभ नहीं होगा लेकिन यह हर किसी के लिए बेहतर होगा क्योंकि इससे कंपनी की शेयर पूंजी सुव्यवस्थित होगी और सभी हितधारकों के लिए ईपीएस में इजाफा करेगा।
चूंकि डीवीआर की स्वतंत्र रुप से ट्रेडिंग होती है। लिहाजा सभी डीवीआर धारक किसी भी समय अपनी होल्डिंग बेच सकते हैं या टाटा मोटर्स की वृद्धि में अपनी भागीदारी बरकरार रख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कई सालों तक डीवीआर शेयरों की ट्रेडिंग सामान्य शेयरों के मुकाबले 40 से 50 फीसदी छूट पर होती रही है और योजना के तहत इसका मूल्यांकन सिर्फ 30 फीसदी छूट पर हुआ है। कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि बड़े निवेशक डीवीआर समाप्त करने की योजना का समर्थन कर रहे हैं।
टाटा मोटर्स के अहम शेयरधारकों में एलआईसी, वेनगार्ड, एसबीआई एमएफ, राकेश झुनझुनवाला फैमिली, ब्लैकरॉक, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी आदि शामिल हैं।