कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI ने अदाणी ग्रुप (Adani Group) की लिस्टेड कंपनियों में अपने अंतिम लाभार्थी मालिकों के बारे में जानकारी का खुलासा करने और इसे बरकरार रखने में विफल रहने वाले 13 विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की पहचान की थी। SEBI ने इन FPIs (Foreign Portfolio Investors) पर अदाणी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में निश्चित अवधि के दौरान निवेश सीमा के उल्लंघन का भी आरोप लगाया था। अब इनमें से 8 FPI, SEBI के साथ सिक्योरिटीज उल्लंघन के मामलों को निपटाना चाह रहे हैं। वे जुर्माने के तौर पर एक निश्चित अमाउंट देने के लिए तैयार हैं।
द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अल्बुला इनवेस्टमेंट फंड, क्रेस्टा फंड, MGC फंड, एशिया इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन (मॉरीशस), APMS इनवेस्टमेंट फंड, एलारा इंडिया अपॉर्चुनिटीज फंड, वेस्पेरा फंड और LTS इनवेस्टमेंट फंड के कानूनी प्रतिनिधियों ने SEBI को कुल 16 सेटलमेंट एप्लीकेशन दायर की हैं। रिपोर्ट में मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से कहा गया है कि कारण बताओ नोटिस फरवरी 2024 में जारी किए गए थे। कई अन्य FPIs भी सेटलमेंट एप्लीकेशन जमा करने की योजना बना रहे हैं।
अक्टूबर 2020 का है मामला
यह मामला अक्टूबर 2020 का है, जब SEBI ने अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरहोल्डिंग स्ट्रक्चर की जांच शुरू की थी। मार्केट रेगुलेटर्स के इंटर्नल सर्विलांस सिस्टम ने अदाणी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों में कुछ विदेशी हिस्सेदारी के हाई कॉनसन्ट्रेशन को लेकर चिंताओं को उजागर किया था। इसके बाद SEBI ने जांच शुरू की। अहम सवाल यह था कि क्या ये विदेशी निवेशक सच में वास्तविक पब्लिक शेयरहोल्डर हैं, या फिर प्रमोटर्स के लिए प्रॉक्सी के रूप में काम कर रहे हैं।
SEBI ने जांच के लिए कुल 13 FPI की पहचान की। इनमें सेटलमेंट एप्लीकेशन दायर कर चुके 8 FPI के अलावा और 5 FPI- एमर्जिंग इंडिया फोकस फंड्स, EM रिसर्जेंट फंड, पोलस ग्लोबल फंड, न्यू लीना इनवेस्टमेंट्स और ओपल इनवेस्टमेंट्स शामिल हैं।। हालाकि, जांच रुक गई क्योंकि SEBI को इन FPI के अंतिम लाभार्थी मालिकों और अदाणी ग्रुप के साथ उनके संभावित संबंधों को निर्धारित करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।