Stock Market Wrapup: घरेलू शेयर बाजारों के लिए यह हफ्ता भी गिरावट भरा रहा। सप्ताह के सभी ट्रेडिंग सेशन में बाजार लाल निशान में बंद हुए। इस सप्ताह (10 फरवरी-14 फरवरी) दोनों प्रमुख इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में लगभग 2.5% की गिरावट आई। यह 2025 में अब तक की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है। वहीं, पिछले आठ कारोबारी दिनों में बीएसई बेंचमार्क 2,644.6 अंक या 3.36 प्रतिशत और निफ्टी 810 अंक या 3.41 प्रतिशत गिर गया है।
बीएसई सेंसेक्स के लिए यह हफ्ता भी मुश्किल रहा और इंडेक्स 1372 अंक टूट गया। पिछले हफ्ते शुक्रवार (7 फरवरी) को सेंसेक्स 77,311 के स्तर पर बंद हुआ था जबकि इस हफ्ते यह 75,939 पर क्लोज हुआ। इस तरह से पिछले पांच ट्रेडिंग सेशन में सेंसेक्स में 1372 अंको की गिरावट आई है।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 भी इस वीक (10 फरवरी-14 फरवरी) 452 अंक गिरकर बंद हुआ। पिछले वीक निफ्टी का क्लोजिंग लेवल 23,381 था। जबकि इस हफ्ते यह 22,929 पर बंद हुआ, जो 452 अंक की गिरावट दर्शाता है।
ब्रोडर मार्केट में दबाव, स्मॉल-कैप मंदी का शिकार
पिछले साल तक जोरदार प्रदर्शन करने वाले ब्रोडर मार्केट में इस साल बहुत अधिक दबाव देखा जा रहा है। स्मॉल-कैप और मिड-कैप में भी आज क्रमशः 3.6% और 2.4% की गिरावट आई। कंपनियों के तिमाही नतीजे नरम रहने और बढ़े हुए वैल्यूएशन को लेकर चिंताओं के कारण स्मॉलकैप और मिडकैप में गिरावट का रुझान बढ़ गया।
स्मॉल-कैप इंडेक्स वर्तमान में 11 दिसंबर को अपने रिकॉर्ड हाई से लगभग 21.6% नीचे है। यह इंडेक्स के मंदी के जाने की पुष्टि करता है। इसके अलावा मिडकैप भी अपने 24 सितंबर, 2024 के रिकॉर्ड हाई लेवल से 18.4% नीचे चला गया हैं।
फार्मा सेक्टर 3% टूटा
सेक्टोरल मोर्चे पर फार्मा सेक्टर 3% की गिरावट के साथ सबसे अधिक गिर गया। इस सेक्टर को ट्रेड वॉर की स्थिति में अमेरिका में रेवेन्यू का सबसे अधिक रिक्स है। इसके अलावा पिछले साल खूब धमाल मचाने वाला निफ्टी पीएसयू बैंक सेक्टर 2% से अधिक की गिरावट लेकर बंद हुआ। निफ़्टी ऑइल एन्ड गैस भी 1.5% टूट गया।
इस हफ्ते निवेशकों के 24 लाख करोड़ डूबे
इस सप्ताह बाजार में रही बढ़त से निवेशकों की वेल्थ 24 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा घट गई। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप शुक्रवार (7 फरवरी) को 42,478,048 करोड़ रुपये था। इस शुक्रवार (14 फरवरी) को यह गिरकर 4,00,19,247 करोड़ रुपये रह गया। इस हिसाब से कंपनियों का मार्केट कैप (Mcap) 24,58,801 लाख करोड़ रुपये घटा है।
इस हफ्ते बाजार गिरावट की बड़ी वजहें
1. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद से बाजार में दबाव बना हुआ है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इससे भारत को अन्य एशियाई देशों के मुकाबले सबसे अधिक नुकसान हो सकता है।
2. विदेशी निवेशक (FIIs) भारतीय बाजारों से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। इसका बाजार के सेंटीमेंट्स पर नकारात्मक असर पड़ा है। एक्सचेंज के डेटा के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने गुरुवार को 2,789.91 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची।
3. ज्यादातर देसी कंपनियों के दिसंबर तिमाही के नतीजे इस बार उम्मीद से कम रहे हैं। इसने निवेशकों की चिंता को और बढ़ा दिया है।
बाजार में करेक्शन की बीच क्या अपनाएं स्ट्रेटीजी?
कैपिटलमाइंड रिसर्च में सीनियर रिसर्च एनालिस्ट कृष्णा अप्पला ने कहा कि सप्ताह के दौरान सभी इंडेक्स में बड़ी गिरावट देखी गई है। 5 फरवरी, 2025 के बाद से निफ्टी 50 इंडेक्स लगभग 4% गिर गया है, जो अब सितंबर 2024 के अपने रिकॉर्ड हाई से लगभग 13% नीचे है।
उन्होंने कहा कि बाज़ार में अस्थिरता आती रहती है लेकिन यह अवसर भी बनाती है। शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव पर रियेक्ट करने के बजाय निवेशकों को ;लॉन्ग टर्म विकास क्षमता वाले मजबूत स्टॉक्स पर फोकस करना चाहिए।
अगले हफ्ते क्या बाजार में आ सकती है रिकवरी?
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में सीनियर वाइस प्रेजिडेंट (रिसर्च) अजित मिश्रा ने कहा, ””मिश्रित संकेतों के बीच बाजार अस्थिर रहा, लगभग आधा प्रतिशत की गिरावट आई। शुरुआती बढ़त के बाद निफ्टी ने तेजी से बदलाव किया और महत्वपूर्ण 22,800 समर्थन क्षेत्र को एक बार फिर से हासिल कर लिया। हालांकि, देर से हुई रिकवरी ने घाटे को कम करने में मदद की और इंडेक्स 22,929.25 पर बंद हुआ। सभी प्रमुख क्षेत्रों को बिकवाली के दबाव का सामना करना पड़ा। इसमें फार्मा, ऊर्जा और रियल्टी शीर्ष पर रहे। इसके अलावा, ब्रोडर इंडेक्सिस में महत्वपूर्ण गिरावट आई है।”
उन्होंने कहा कि कंपनियों के नरम तिमाही नतीजों के साथ एफआईआई की लगातार बिकवाली ने तेजड़ियों (Bulls) को डिफेंसिव पॉजिशन में ला दिया है। निफ्टी के 22,800 के स्तर को बनाए रखने के प्रयास जारी हैं। बाजार का ओवरऑल स्ट्रक्चर आगे और गिरावट के रिस्क का संकेत दे रहा है। आगे बाजार की दिशा तय करने में बैंकिंग और आईटी क्षेत्रों का परफॉर्मेंस महत्वपूर्ण होगा। निवेशकों को ट्रेड मैनेजमेंट पर ज़ोर देते हुए अपनी स्ट्रेटीजी को उसके अनुसार तैयार करना चाहिए।
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