टैक्स मामलों के कुछ एक्सपर्ट्स हाल में पेश किए गए नए टैक्स बिल को अहम रिफॉर्म बता रहे हैं, जिससे देश के टैक्स ढांचे को आधुनिक और आसान बनाने में मदद मिलेगी। नया इनकम टैक्स बिल 2025 65 साल पुराने इनकम टैक्स कानून, 1961 की जगह लेगा। इस बिल में सेक्शन को बढ़ाकर प्रावधानों की रीस्ट्रक्चरिंग की गई है, जबकि इसकी कुल लंबाई को कम किया गया है। इससे कानून को लेकर स्पष्टता बढ़ी है और इसकी व्याख्या करना आसान हुआ है।
ग्रांट थॉर्नटन भारत में ग्लोबल पीपल सॉल्यूशंस लीडर अखिल चंद्रा ने बताया, ‘इस बिल में पुराने, बेकार और अप्रासंगिक प्रावधानों को हटा दिया गया है। इसमें औपचारिक तौर पर वर्चुअल डिजिटल एसेट्स की कैटेगरी बनाई है, मसलन अस्पष्टता को खत्म करते हुए टैक्सेबल इनकम के तहत क्रिप्टोकरेंसी को शामिल किया गया है। टैक्स योग्य इनकम और रेट का स्ट्रक्चर टैबुलर फॉर्मेट में तैयार किया गया है। डिजिटल कंप्लायंस पर जोर को ध्यान में रखते हुए बिल में टैक्स फाइलिंग, विवाद निपटारा और एसेसमेंट प्रक्रियाओं को आसान बनाने की कोशिश की गई है। ‘
नए टैक्स बिल में 2.56 लाख शब्द हैं, जो मौजूदा इनकम टैक्स से कम से कम 50 पर्सेंट कम हैं। टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि शब्दों की संख्या कम किए जाने के बावजूद इसका मूल भावना सुरक्षित है। नए बिल में इनकम टैक्स एक्ट की विरासत को सुरक्षित रखा गया है। इसके अलावा, किसी भी तरह की परेशानी से बचने के लिए ढांचागत बदलाव किए गए हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि भाषा में बदलाव और चीजों को आसान बनाने के बावजूद नए टैक्स बिल में कैपिटल गेन्स टैक्स के स्ट्रक्चर को भी सुरक्षित रखा गया है।
टैक्स एक्सपर्ट्स और ट्राईलीगल (Trilegal) में टैक्स पार्टनर हिमांशु सिन्हा और अदिति गोयल ने बताया, ‘नए बिल में तमाम बदलावों के बावजूद कानून का ढांचा इनकम टैक्स एक्ट 1961 के मुताबिक है। कुछ मसलों पर ज्यादा विचार करने की जरूरत है, लेकिन इस संतुलित रवैये से सभी संबंधित पक्षों के लिए इससे जुड़ने में आसानी होगी।’
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