Modi-Trump meeting: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आज 13 फरवरी को मुलाकात होने वाली है। इस बैठक में ग्लोबल व्यापार, आर्थिक नीति और द्विपक्षीय संबंधों जैसे कई मसलों पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत होने की उम्मीद है। इसके चलते इस बैठक पर शेयर बाजार की भी करीबी नजरें टिकी हुई हैं। मैन्युफैक्चरिंग, रक्षा, आईटी और फार्मा जैसे सेक्टर इस बातचीत से सीधे प्रभावित हो सकते हैं। मोदी-ट्रंप की बैठक में किन मुद्दों पर बातचीत हो सकती है, आइए इस पर एक नजर डालते हैं।
1. टैरिफ वॉर और ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति
मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि मोदी और ट्रंप की बातचीत में सबसे ऊपर टैरिफ का मसल रहा सकता है। ट्रंप अपनी “अमेरिका फर्स्ट” नीति के चलते दूसरे देशों से आने वाले पर टैरिफ यानी (इंपोर्ट ड्यूटी) लगा रहे हैं। भारतीय एक्सपोर्ट्स के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है। आईटी,फार्मा और टेक्सटाइल सेक्टर में भारत काफी सामान अमेरिका को एक्सपोर्ट करता है, जिनपर किसी नए टैरिफ का असर पड़ सकता है।
इसके अलावा अमेरिका और चीन के ट्रेड वार में भारत के लिए क्या अवसर बन रहे हैं, निवेशकों की इस पर भी नजरें होंगी। ABans वेल्थ एंड इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के CEO भाविक ठक्कर के मुताबिक, “भारत पहले ही कई अमेरिकी सामानों पर टैरिफ घटा चुका है, जिससे तनाव कम हो सकता है। लेकिन असली खेल यह होगा कि भारत कैसे चीन का विकल्प बनता है!” अगर इस बैठक में भारत को ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति के तहत ज्यादा सपोर्ट मिलता है, तो इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोटिव सेक्टर में तेजी देखने को मिल सकती है!
2. डिफेंस सेक्टर में सहयोग पर चर्चा
टैरिफ के अलावा भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सौदों पर बड़ी बातचीत हो सकती है!ट्रंप पहले भी चाहते थे कि भारत अमेरिका से अधिक से अधिक हथियार खरीदे। इस बार भी वो इस बात पर जोर दे सकते हैं। अगर दोनों देशों के बीच कोई बड़ा रक्षा सौदा होता है, तो HAL, भारत डायनेमिक्स, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और L&T जैसे स्टॉक्स में हलचल देखने को मिले सकती है।
Omniscience के CEO विकास गुप्ता के मुताबिक, “अगर अमेरिका भारत के डिफेंस सेक्टर में निवेश बढ़ाने का कोई ठोस कदम उठाता है, तो इससे भारतीय रक्षा कंपनियों के शेयरों को बड़ा फायदा मिल सकता है।”
3. चीन से सस्ते सामानों की डंपिंग का मुद्दा
ट्रंप और मोदी की मुलाकात में चीन से सस्ते सामानों की डंपिंग का मुद्दा भी छाया रह सकता है। भारत में चीनी सामानों की बाढ़ से घरेलू कंपनियों को बड़ा नुकसान हो रहा है। मोदी-ट्रंप की इस बैठक में अगर चीन से सस्ते सामानों की डंपिंग रोकने पर सहमति बनती है, तो भारतीय मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को सीधा फायदा होगा! Seven Islands के प्रिंसिपल ऑफिसर हेमंत शाह का कहना है, “अगर इस बैठक में डंपिंग रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाता है, तो भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों को मजबूती मिल सकती है।
4. भारत का IT और फार्मा सेक्टर
बातचीत में चौथा मुद्दा आईटी और फार्मा सेक्टर को लेकर हो सकता है। भारत की आईटी और फार्मा कंपनियों के लिए अमेरिका एक बड़ा बाजार है। लेकिन ट्रंप प्रशासन की H-1B वीजा नीतियां और रेगुलेटरी बदलाव इन सेक्टर्स के लिए चिंता का विषय बन सकते हैं। पीएम मोदी यह चाहेंगे कि ट्रंप के नए कार्यकाल की नीतियां भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका में किसा तरह का रुकावट न पैदा करे। इसलिए बैठक में इस पर भी बात हो सकती है। विकास गुप्तान ने कहा कि “अगर अमेरिका भारतीय आईटी और फार्मा सेक्टर के लिए आसान नियम बनाता है, तो इससे निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा।”
5. डॉलर बनाम लोकल करेंसी सेटलमेंट
अंत में ट्रंप इस बैठक में अमेरिका डॉलर को मजबूत बनाने पर जोर दे सकते हैं। ब्रिक्स देशों ने हाल ही में अमेरिकी डॉलर की जगह अपनी एक अलग करेंसी बनाकर उसमें व्यापर करने का प्रस्ताव रखा था। ट्रंप पहले ही इस मुद्दे पर चिंता जता चुके हैं, और इस बैठक में अमेरिका भारत से स्पष्ट रुख की उम्मीद कर सकता है। भारत का फोकस रूस और चीन से भारतीय रूपये में ही व्यापार करने पर बढ़ा है। अगर इस मुद्दे पर दोनों नेताओं में बातचीत होती है, इसका असर करेंसी मार्केट पर देखने को मिल सकता है।
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