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30 दिन में ₹8,68,57,50,42,000 फुर्र… भारतीय बाजार से हो रही FII की ‘घर वापसी’, क्या करें निवेशक?

नई दिल्ली: विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसे निकालने का सिलसिला लगातार जारी है। इस साल वे अब तक 10 अरब डॉलर यानी 8,68,57,50,42,000 रुपये निकाल चुके हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में इनकम टैक्स में कटौती करके खपत बढ़ाने की कोशिश की। दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे भी विदेशी निवेशकों को रोकने में नाकाम रहे। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के तिकड़म के आगे सबकुछ फेल हो रहा है। विदेशी निवेशक अभी भारत के किसी भी अच्छे संकेत पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। विदेशी निवेशक अपना पैसा निकाल कर स्वदेश देश ले जा रहे हैं।एक्सिस कैपिटल के नीलकंठ मिश्रा ने कहा, ‘पूंजी निकासी उभरते बाजारों (EM) में व्यापक बिकवाली का एक हिस्सा है। इससे भारतीय बाजार सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। पिछले एक महीने में विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से काफी पैसा निकाल चुके हैं। आने वाले महीनों में और निकासी की आशंका है। इसके अलावा भारतीय बाजार में अब भी अनिश्चितता है जबकि यूएस ट्रेजरी यील्ड ऊंचे बने हुए हैं।’ दुनिया के मुकाबले भारत के शेयरों का P/E अनुपात सितंबर में 26% से घटकर 5% रह गया है। P/E अनुपात बताता है कि कंपनी की कमाई के हिसाब से उसका शेयर कितना महंगा या सस्ता है।

कितना गिरेगा बाजार

मिश्रा का कहना है कि अब और ज्यादा गिरावट की संभावना कम है। उन्होंने एक रिपोर्ट में कहा कि भारत का P/E अनुपात कम होने से उसका प्रदर्शन खराब हुआ है, लेकिन आगे EPS में बढ़ोतरी से इस नुकसान की भरपाई हो सकती है। दूसरे बड़े बाजारों में P/E अनुपात बढ़ा है और भारत में उम्मीदें कम हो गई हैं। FY14-20 के दौरान FII होल्डिंग 20% के शिखर पर पहुंचने के बाद 2024 में घटकर 16% रह गई है। लेकिन घरेलू निवेशकों ने जमकर पैसा लगाया है जिससे निफ्टी में ज्यादा गिरावट नहीं आई है। MF होल्डिंग अब 10 साल के उच्चतम स्तर पर है।

कोटक म्यूचुअल फंड के नीलेश शाह का कहना है कि ट्रंप सरकार की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति से FII उभरते बाजारों से किनारा कर रहे हैं। एक बड़ा प्राइवेट इक्विटी फंड राष्ट्रपति ट्रंप से मिलने गया और कहा कि आपने 100 अरब डॉलर लाने के लिए कहा था और हम 500 अरब डॉलर ला रहे हैं। जाहिर है कि अमेरिका फर्स्ट की नीति और ऊंची ब्याज दरों के साथ ही उच्च बॉन्ड यील्ड पूंजी को वापस अमेरिका की ओर धकेल रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि भू-राजनीतिक जोखिमों और FII की निकासी से बाजार में निकट से मध्यम अवधि तक उतार-चढ़ाव बना रहने की संभावना है।

क्या करें निवेशक

जानकारों का कहना है कि भू-राजनीतिक हालात ऐसे नहीं दिख रहे हैं कि जल्द ही भारत जैसे उभरते बाजारों में FII का पैसा आएगा। ऐसे में निवेशकों को सोना, चांदी और डेट जैसे अन्य एसेट्स में निवेश करके अपने पोर्टफोलियो में विविधता लानी चाहिए। गोल्ड ETF ने पिछले एक महीने में 9% से अधिक का रिटर्न दिया है। इसी तरह पूरे ग्रुप ने निवेश करने के बजाय एक-एक शेयर चुनकर इनवेस्टमेंट करना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है। निफ्टी अपने पिछले पांच साल के औसत से 7% कम पर कारोबार कर रहा है। इसका मतलब है कि बड़े शेयरों से दूर रहने की जरूरत नहीं है।

एमके वेल्थ मैनेजमेंट के शोध प्रमुख जोसेफ थॉमस कहते हैं, ‘चूंकि बाजार में काफी गिरावट आ चुकी है, इसलिए यह मध्यम से लंबी अवधि के नजरिए से नए निवेश शुरू करने का समय है। कोटक के नीलेश शाह का कहना है कि यह समय तेजी के बजाय क्वालिटी में निवेश करने का है। उन्होंने कहा, ‘कम फ्लोटिंग स्टॉक से दूर रहें जहां हमें लगता है कि भारी गिरावट के बावजूद अभी भी फ्रॉथ है।’ उनका कहना है कि मिडकैप IT, प्राइवेट बैंक, NBFC, फार्मा और टेलीकॉम सेक्टर में तेजी आ सकती है।

(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, stock market news के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें। क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)

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