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NSE vs BSE: यह बड़ा काम करने में एनएसई फेल, अब बीएसई पर लगाया यह आरोप

NSE vs BSE: देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज NSE ने एशिया के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज BSE पर आरोप लगाया है कि यह इसका बकाया चुका नहीं रहा है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का कहना है कि इसकी क्लियरिंग कॉरपोरेशन इकाई एनएसई क्लियरिंग लिमिटेड (NCL) का टोटल लिक्विड एसेट्स गिरकर अहम लेवल के भी नीचे आ गया जिसे नियमों के मुताबिक बनाए रखना जरूरी है। एनएसई का कहना है कि इसका लिक्विड एसेट्स न्यूनतम लेवल से नीचे इसलिए आया क्योंकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने इसे 312.37 करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान नहीं किया है। यह जानकारी एनएसई ने दिसंबर तिमाही के नतीजे के साथ में दी है।

मिनिमम लेवल बनाए रखना क्यों है जरूरी?

लिक्विड एसेट्स का मिनिमम लेवल बनाए रखना इसलिए जरूरी है क्योंकि सभी लेन-देन को क्लियर और सेटल करने का काम क्लियरिंग कॉरपोरेशन का होता है। इसके अलावा एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर जो भी ट्रेड एग्जेक्यूट हो रहे हैं, उन सभी के लिए काउंटर-पार्टी गारंटी मुहैया कराती है। यह मिनिमम लिमिट बाजार नियामक सेबी ने सेट की है। एनएसई ने तिमाही नतीजे के साथ खुलासा किया कि एनएसई क्लियरिंग ने सेबी को 9 जनवरी 2025 को ही बता दिया था कि मिनिमम लिक्लिड एसेट्स से इसके पास ₹176.65 करोड़ कम हैं और इसकी वजह ये है कि बीएसई ने ₹312.37 करोड़ का बकाया नहीं चुकाया है। अब इसकी भरपाई मार्च 2025 तक आंतरिक जुटान या रिसीवेबल्स की रिकवरी के जरिए की जाएगी। इसके अलावा एनएसई क्लियरिंग ने इस डेफिसिट का कैलकुलेशन करते समय 31 दिसंबर 2024 तक ₹424.35 करोड़ के अर्जित ब्याज को शामिल नहीं किया था।

कितना बड़ा है NSE?

एनएसई देश का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है जिसकी कैश मार्केट में 94 फीसदी हिस्सेदारी है। इक्विटी फ्चूयर्स में तो इसकी 99.9 फीसदी हिस्सेदारी है और दिसंबर तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक इक्विटी ऑप्शंस में 87.5 फीसदी हिस्सेदारी। दिसंबर तिमाही में कैश और इक्विटी फ्यूचर्स 30 फीसदी से अधिक बढ़े। करेंसी फ्यूचर्स में इसका 93 मार्केट पर कब्जा है। वैश्विक मार्केट में बात करें तो कॉन्ट्रैक्ट्स की संख्या के हिसाब से एनएसई दुनिया का सबसे बड़ा डेरिवेटिव एक्सचेंज है और ट्रेड्स की संख्या के हिसाब से दूसरा। पिछले साल 2024 में एनएसई पर एशिया में सबसे अधिक आईपीओ आए और दुनिया भर में सबसे अधिक इक्विटी कैपिटल जुटाया। नतीजे की बात करें तो अप्रैल-दिसंबर 2024 में एनएसई ने एसटीटी के रूप में सरकार को ₹37,271 करोड़ दिए। इसके अलावा इसने सरकार को ₹3,639 करोड़ का इनकम टैक्स और जीएसटी और ₹2,976 करोड़ की स्टांप ड्यूटी दी।

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