बजट 2025 में ऐसी यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस पॉलिसीज (ULIP) के रिडेम्प्शन या मैच्योरिटी पर लगने वाले टैक्स के बारे में जरूरी चीजें स्पष्ट की गई हैं, जहां एक साल में कुल प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है। अगर सीधे शब्दों में कहें, तो ऐसे सभी यूलिप (ULIPs) प्लान, जिन्हें सेक्शन 10 (10डी) के तहत टैक्स छूट की अनुमति नहीं है, उन्हें इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड माना जाएगा। बजट के मेमोरेंडम में कहा गया है, ‘ऐसे यूलिप प्लान जिन्हें इनकम टैक्स ऐक्ट के सेक्शन 10 (10डी) के तहत छूट हासिल नहीं है, उन्हें इक्विटी आधारित फंड के दायरे में शामिल किया जाएगा।’
हम आपको यहां विस्तार से बता रहे हैं कि इसका यूलिप के होल्डर्स के लिए क्या मतलब है, खास तौर पर उन यूलिपहोल्डर्स के लिए, जिन्होंने 1 फरवरी 2021 के बाद इसमें निवेश किया है।
बजट 2025 में यूलिप में किया गया संशोधन टैक्स के मोर्चे पर रिडेम्प्शन पर क्या असर डालेगा
सीधे तौर पर कहें, तो बजट 2025 में साफ किया गया है कि ऐसे यूलिप प्लान जो सेक्शन 10 (10डी) के तहत छूट के योग्य नहीं हैं, उन्हें कैपिटल एसेट्स माना जाएगा। इस पर टैक्स का नियम इक्विटी आधारित फंड की तरफ लागू होगा, लिहाजा रिडेम्प्शन पर हासिल प्रॉफिट को कैपिटल गेन्स माना जाएगा। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के FAQs में कहा गया है, ‘अगर सेक्शन 10 (10डी) की शर्तें पूरी नहीं होती हैं, तो इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत हासिल रकम पर कैपिटल गेन्स की तरह टैक्स लग सकता है।’
शेयरों की बिक्री के जरिये 1.25 लाख रुपये से ज्यादा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स पर 12.5 पर्सेंट टैक्स लगता है, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (12 महीने से कम) पर 20 पर्सेंट टैक्स है। कैपिटल गेन्स टैक्स स्ट्रक्चर में बजट 2024 में बदलाव किया गया था।
सेक्शन 10 (10डी) क्या है?
इनकम-टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(10डी) के तहत अगर किसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी (बोनस या ऐसी कोई पॉलिसी) के तहत कोई रकम मिलती है, तो इस पर टैक्स में छूट है। लिहाजा, मैच्योरिटी या क्लेम राशि के तौर पर पॉलिसीहोल्डर्स या उनके नॉमिनी को जो रकम मलिती है, वह टैक्स फ्री होती है। हालांकि, इस छूट को लेकर कई शर्तें होती हैं। यह उन लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के रिडेम्प्शन या मैच्योरिटी पर उपलब्ध नहीं है, जहां सालाना प्रीमियम सम एश्योर्ड का 10 पर्सेंट से ज्यादा है।इसके अलावा, 1 फरवरी 2021 के बाद बेचे गए यूलिप प्लान अब तक टैक्स छूट के योग्य नहीं थे, बशर्ते पॉलिसीहोल्डर द्वारा भुगतान किया गया कुल सालाना प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से ज्यादा हो।