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Share Market Crash: बाजार खुलते ही ₹5 लाख करोड़ स्वाहा… ट्रंप के टैरिफ से मार्केट में हाहाकार, सेंसेक्स 700 अंक लुढ़का

नई दिल्ली: शेयर मार्केट में आज भारी गिरावट दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगा दिया है। इसके बाद ट्रेड वॉर गहराने की चिंता से एशियाई बाजारों में गिरावट आई है। उसका असर सेंसेक्स और निफ्टी को भी देखने को मिला। शुरुआती कारोबार में ही बीएसई सेंसेक्स 695 अंक या 0.91% की गिरावट के साथ 76,812 अंक पर आ गया जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 211 अंक या 0.90% की गिरावट के साथ 23,271 अंक तक लुढ़क गया। इस गिरावट से बीएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप 4.63 लाख करोड़ रुपये घटकर 419.21 लाख करोड़ रुपये रह गया।

सभी सेक्टोरल इंडेक्सेज में गिरावट आई है। मेटल इंडेक्स में सबसे ज्यादा 3.19 फीसदी गिरावट आई है। रियल्टी इंडेक्स में 2.07, निफ्टी आईटी में 1.44 फीसदी, बैंक में 1.04%, फार्मा में 1.10%, हेल्थकेयर में 1.01%, ऑयल एंड गैस में 1.79% और फाइनेंशियल सर्विसेज में 0.91 फीसदी गिरावट आई है। ब्रॉडर मार्केट में BSE MidCap में 1.49 फीसदी और BSE SmallCap में 1.53 फीसदी की गिरावट आई है।

शेयर मार्केट में गिरावट के कारण

1) ट्रंप के टैरिफ से व्यापार युद्ध की आशंका

यह गिरावट सप्ताहांत में कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने के ट्रंप के फैसले के बाद आई है। इससे वैश्विक विकास पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ गई हैं। ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको पर 25% और चीन पर 10% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह टैरिफ मंगलवार के प्रभावी होंगे। इसके जवाब में कनाडा और मैक्सिको ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की है जबकि चीन ने भी डब्ल्यूटीओ में जाने की धमकी दी है।

2) अमेरिकी डॉलर रिकॉर्ड शिखर पर

इस बीच अमेरिकी डॉलर ऑफशोर ट्रेडिंग में चीनी युआन के मुकाबले रिकॉर्ड पर पहुंच गया। साथ ही यह कनाडा की करेंसी के मुकाबले 2003 के बाद से उच्चतम स्तर पर है जबकि 2022 के बाद से मैक्सिकन पेसो के मुकाबले सबसे मजबूत है। इस बीच सोमवार को पहली बार भारतीय रुपया भी डॉलर के मुकाबले 87 के ऊपर पहुंच गया।

3) यू.एस. ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी

यूएस के दो वर्षीय ट्रेजरी यील्ड में 3.6 आधार अंकों की वृद्धि हुई और यह 4.274% पर पहुंच गया। यह इसका एक हफ्ते का उच्चतम स्तर है। माना जा रहा है कि ट्रंप के टैरिफ प्लान से अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है और ब्याज दरों में कटौती में देरी हो सकती है। यूएस ट्रेजरी यील्ड में यह वृद्धि भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए नकारात्मक है। हाई यूएस यील्ड से उभरते बाजारों में रिस्की एसेट्स से कैपिट फ्लो आकर्षित होता है, जिससे करेंसी में गिरावट आती है और उधार लेने की लागत बढ़ जाती है।

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