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रिलायंस से पीछा छुड़ा रहे विदेशी निवेशक! एक दशक के न्यूनतम स्तर पर पहुंची विदेशी हिस्सेदारी

नई दिल्ली: अरबपति मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली देश की सबसे मूल्यवान कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) में विदेशी संस्थागत निवेशक पिछले दो साल से लगातार बिकवाली कर रहे हैं। इस कारण कंपनी में उनकी हिस्सेदारी एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच गया है। सितंबर 2022 से एफआईआई लगभग हर तिमाही रिलायंस के स्टॉक में हिस्सेदारी कम कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में उनकी हिस्सेदारी 23.6% थी जो वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में गिरकर 19.6% रह गई है। इस बीच रिलायंस में घरेलू संस्थागत निवेशकों की हिस्सेदारी पिछले 2 साल में 15% से बढ़कर 19.1% हो गई है। सोमवार को कंपनी का शेयर बीएसई पर 1.96% गिरावट के साथ 1221.50 रुपये पर ट्रेड कर रहा था।एफआईआई के पलायन के कारण पिछले दो साल में रिलायंस ने 12% का कमजोर रिटर्न दिया है। जेफरीज का कहना है कि कंपनी का स्टॉक अब कोविड के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर है जबकि मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि आरआईएल का पीई अब अपने पांच साल के औसत के करीब है। कंपनी के तीसरी तिमाही के नतीजों में सुधार के संकेत दिखे हैं। रिटेल बिजनस में उछाल के साथ EBITDA में सुधार की उम्मीद में ब्रोकरेज ने स्टॉक की रेटिंग को अपग्रेड किया है और टारगेट प्राइस को आगे बढ़ाया है। विश्लेषकों का कहना है कि मैक्रो और माइक्रो सेट-अप 2026 में बेहतर रिटर्न का संकेत दे रहे हैं।

क्यों बढ़ सकती है कीमत

मॉर्गन स्टेनली के विश्लेषकों का मानना है कि रिलायंस न्यू एनर्जी की तरफ शिफ्ट हो रही है। साथ ही रिटेल से लेकर डेटा सेंटर में उसका फोकस बढ़ रहा है। इसे लेकर निवेशकों में चर्चा गरम है। मॉर्गन स्टेनली के मयंक माहेश्वरी ने कहा, ‘दो साल में RIL के जनरल AI इन्फ्रास्ट्रक्चर को नई ऊर्जा से ताकत मिलने लगेगी। कंपनी के लिए यह कमाई का बड़ा जरिया बन जाएगा। साथ ही रिफाइनिंग और रिटेल सेक्टर में भी मांग में सुधार देखा जा रहा है़।’

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म HSBC ने पिछले 4 वर्षों से RIL को होल्ड रेटिंग दी हुई है लेकिन अब वह अपना मन बदल रही है। एचएसबीसी ने कहा कि अब हमारा मानना है कि रिटेल में बदलाव, नए ऊर्जा कारोबार की शुरुआत और डिजिटल कारोबार में तेजी उत्प्रेरक का काम कर सकती है। O2C में गिरावट आ चुकी है और आगे गिरावट की कोई गुंजाइश नहीं है। ब्रोकरेज को उम्मीद है कि आरआईएल के पूंजीगत व्यय की तीव्रता धीमी होगी और मुक्त नकदी प्रवाह बढ़ेगा।

कहां तक जाएगी कीमत

बोफा के विश्लेषकों का कहना है कि पिछले 6 महीनों में आरआईएल के शेयर के खराब प्रदर्शन का एक कारण रिटेल में कमजोर गति है। लेकिन आगे इसमें तेजी की उम्मीद है। बोफा ने रिलायंस का टारगेट प्राइस 1,723 रुपये रखा है। मॉर्गन स्टेनली ने रिलायंस का टारगेट प्राइस 2,021 रुपये रखा है। उसका कहना है कि अगर रिफाइनिंग मार्जिन ऊंचे स्तर पर बना रहता है, ई-कॉमर्स और ग्रीन एनर्जी बिजनस में उल्लेखनीय प्रगति होती है और टेलीकॉम बिजनस में एआरपीयू में बढ़ोतरी होती है तो शेयर इस लेवल तक जा सकता है।

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