अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए आदेश ने भारतीय प्रवासी समुदाय में घबराहट पैदा कर दी है। कई भारतीय परिवार अब जल्दबाजी में समय से पहले बच्चे की डिलीवरी करा रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद हस्ताक्षर किए गए कई एक्जिक्यूटिव ऑर्डर्स में से एक ने अमेरिका में बर्थराइट सिटिजनशिप को समाप्त कर दिया है। यह आदेश 20 फरवरी से लागू होगा। यानी, 20 या 20 फरवरी से पहले जन्में बच्चे को ही अमेरिकी नागरिकता मिलेगी। इसके कारण अमेरिका में रहने वाले भारतीय परिवार खासकर H1B या L1 वीजा पर रहने वाले परिवार परेशान हैं। यही कारण है कि ज्यादातर भारतीय महिलाएं प्री-टर्म सी-सेक्शन डिलीवरी करा रही हैं। ताकि, उनके बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिल सके। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महिलाएं आठवें और नौवें महीने में ही डिलीवरी करा रही हैं। वह डिलीवरी के लिए स्टैंडर्ड हफ्ते या कहें फुल टर्म होने का भी इंतजार नहीं कर रही हैं।
क्या है अमेरिका का बर्थराइट सिटिजनशिप और इसका महत्व?
1868 में अमेरिका के संविधान में शामिल 14वें संशोधन के तहत किसी भी व्यक्ति को, जो अमेरिका में जन्म लेता है, अमेरिकी नागरिकता मिलती थी। यह नियम 127 सालों से लागू था और अब इसे खत्म कर दिया गया है। इस रिवीजन के तहत कहा गया था कि अमेरिका में जन्मे या प्राकृतिक रूप से नागरिक बनने वाले सभी व्यक्ति अमेरिका और अमेरिका के जिस राज्य में रहते हैं, वहां के नागरिक होंगे।
नए आदेश का असर
ट्रंप के नए आदेश के तहत 20 फरवरी के बाद जन्म लेने वाले बच्चों को केवल तभी नागरिकता मिलेगी जब उनके माता-पिता में से कम से कम एक ग्रीन कार्ड होल्डर होगा। वरना, बच्चों को 21 साल की उम्र के बाद ही नागरिकता मिलेगी।
अमेरिका में बढ़ी भारतीय परिवारों की मुश्किलें
नए आदेश का सबसे अधिक असर उन भारतीय परिवारों पर पड़ा है जो अमेरिका में अस्थायी H1B या L1 वीजा पर रह रहे हैं। इन परिवारों को विश्वास था कि अमेरिका में जन्मे उनके बच्चे अपने आप अमेरिकी नागरिक बन जाएंगे। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।
डॉक्टरों के पास बढ़ी सी-सेक्शन की मांग
न्यू जर्सी की एक डॉक्टर के मुताबिक कई भारतीय महिलाएं अपने बच्चों की समय से पहले डिलीवरी करवाने के लिए संपर्क कर रही हैं। उन्होंने एक मामले के बारे में बताया कि एक महिला जो सात महीने की गर्भवती थी, अपने पति के साथ सी-सेक्शन के लिए आई। उनकी डिलीवरी मार्च में थी लेकिन अब वह जल्दी डिलीवरी चाहती है।
कानूनी चुनौतियां और विवाद
इस आदेश के खिलाफ 22 राज्यों और नागरिक अधिकार समूहों ने मुकदमे दायर किए हैं। वहीं, ग्रीन कार्ड होल्डर्स के लिए यह आदेश चिंता का कारण नहीं है, क्योंकि उनके बच्चे नए नियम के बाद भी अमेरिकी नागरिकता ले कर सकते हैं। हालांकि, नए कानून को लेकर अदालती लड़ाई जारी है। यह आदेश अमेरिका के लाखों प्रवासी परिवारों के भविष्य पर सीधे असर डालेगा।