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‘MAGAmbo’ खुश हुआ तो दुनिया की बढ़ जाएगी टेंशन, भारतीय बाजार को लग सकता है तगड़ा झटका? | Zee Business

 

1987 में आई फिल्म “मिस्टर इंडिया” में अमरीश पुरी ने मोगैंबो का किरदार निभाया था. उस किरदार में जब अमरीश पुरी खुश होते तो फिल्म के बाकी कलाकारों की टेंशन बढ़ जाती. इन दिनों आज के ‘MAGAmbo’ के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आ रहा है. बस अंतर सिर्फ इतना है कि ये कोई फिल्म नहीं है और यहां कोई ‘मोगैंबो’ नाम का किरदार नहीं है. तो अब सवाल ये है कि आखिर ये MAGAmbo है क्या?

इसका सिंपल सा जवाब है ट्रंप का ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (MAGA). अगर ट्रंप अमेरिका को प्रायोरिटी देते हुए नियम में बदलाव करते हैं तो इससे दुनिया भर की इकोनॉमी पर असर पड़ेगा. हालांकि उन्होंने शपथ लेने के पहले ही दिन 10 एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन कर दुनिया की टेंशन बढ़ाने का काम शुरू कर दिया है. चलिए समझते हैं कि बाकि दुनिया के लिए ‘MAGA’ क्यों चिंता का विषय है?

पहले ही दिन ट्रंप ने दिखाया ट्रेलर

डोनाल्ड ट्रंप का व्हाइट हाउस में लौटना हमेशा की तरह अनिश्चितता और अनप्रिडिक्टिबिलिटी का प्रतीक बन गया है. उनके दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के कयासों ने भारतीय शेयर बाजार पर गहरा प्रभाव डाला है. जहां नवंबर में ट्रंप की वापसी की खबर पर सेंसेक्स 900 अंकों से ज्यादा उछला था, वहीं जनवरी आते-आते यह उत्साह चिंता और असमंजस में बदल गया. शपथ के अगले ही दिन बाजार में हजार अंकों से अधिक की गिरावट देखी गई.

कैसे बढ़ेगी दुनिया की टेंशन? 

ट्रंप की जीत के बाद शुरुआती रैली व्यापार-हितैषी नीतियों और स्थिर वैश्विक परिदृश्य की उम्मीदों पर आधारित थी, लेकिन उनके संभावित कार्यकाल के करीब आते ही व्यापार, जियो-पॉलिटिकल टेंशन और आर्थिक नीतियों को लेकर बाजार में अस्थिरता बढ़ गई.

भारत के नजरिए से ट्रंप के फैसले को देखें तो कई बातें चिंता पैदा करती हैं. इमिग्रेशन पॉलिसी में सख्ती H-1B वीजा पर निर्भर आईटी कंपनियों के लिए चुनौती बढ़ेगी. यूरोप के साथ ट्रेड वॉर और इमिग्रेशन नियमों में सख्ती से भारतीय कंपनियों के लिए परेशानी बढ़ सकती हैं. ट्रंप का टैरिफ बढ़ाने का फैसला भी भारत समेत अन्य देशों की कंपनियों के लिए समस्या क्रिएट कर सकता है.

अमेरिका WHO का सबसे बड़ा वित्तीय सहयोगी है. अमेरिका की फंडिंग डब्ल्यूएचओ के कुल बजट का 16 फीसदी है. अब ट्रंप ने इससे बाहर निकलने का फैसला ले लिया है, जिससे WHO को मिलने वाली फंडिंग बंद हो जाएगी. इसका असर भारत समेत एशिया और छोटे-छोटे देशों को उठाना पड़ेगा, जहां WHO अपना अभियान चलाता है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018-19 में उसने 1 अरब डॉलर पोलियो को पूरी दुनिया से खत्म किया था. डिपार्टमेंट ने वैक्सीनेशन पर भी अपना टोटल बजट का 7 फीसदी पैसा खर्च किया था.

बाजार के लिए कैसा था पिछला कार्यकाल?

ट्रंप ने ओवल ऑफिस से जो 10 ऑर्डर जारी किए हैं. उसके बारे में उन्होंने चुनाव के दौरान जिक्र भी किया था. चुनाव के समय उन्होंने अमेरिका की इकोनॉमी को मजबूत करने के लिए कई सारी योजनाओं को शुरू और बंद करने का भी ऐलान किया था. जिस स्पीड से ट्रंप आदेश दे रहे हैं. भारतीय कंपनियों को भी इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है, जो अमेरिका से बिजनेस कर रही हैं. हालांकि एक अच्छी बात ये है कि ट्रंप के पिछले कार्यकाल में भारतीय बाजार ने ठीक-ठाक रिटर्न दिया था. 2016 में ट्रंप की जीत के बाद निफ्टी +9%, मिडकैप +18% और स्मॉलकैप ने +22.6% का रिटर्न दिया था. वहीं PSU बैंक (+23.3%), एनर्जी (+21.3%), आईटी (+2%) जैसे सेक्टर पॉजिटिव रिटर्न देने में कामयाब रहे थे.

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