अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों पर अनिश्चितता ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भारी बिकवाली और अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के निराशाजनक नतीजों से जूझ रहे निवेशकों की चिंता और बढ़ा दी है। इसकी वजह से बेंचमार्क सूचकांकों में आज बड़ी गिरावट आई। सेंसेक्स 1,235 अंक या 1.6 फीसदी टूटकर 75,838 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 320 अंक या 1.4 फीसदी के नुकसान के साथ 23,025 पर बंद हुआ। सेंसेक्स में 3 अक्टूबर और निफ्टी में 13 जनवरी के बाद सबसे बड़ी गिरावट आई है। सेंसेक्स और निफ्टी 6 जून, 2024 के बाद सबसे निचले स्तर पर बंद हुआ है।
बंबई स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण आज की गिरावट से 7.5 लाख करोड़ रुपये घटकर 424 लाख करोड़ रुपये रह गया। निवेशकों को इस महीने 18 लाख करोड़ रुपये बाजार पूंजी की चपत लगी है। 26 सितंबर, 2024 को सर्वकालिक ऊंचाइयों को छूने के बाद सेंसेक्स 11.6 फीसदी और निफ्टी 12.2 फीसदी नीचे आ चुका है।
ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद मेक्सिको और कनाडा से आने वाले उत्पादों पर 1 फरवरी तक 25 फीसदी शुल्क लगाने की चेतावनी दी। इससे दुनिया भर के निवेशक सकते में आ गए। अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन अमेरिका के लोगों को समृद्ध बनाने के लिए दूसरे देशों पर शुल्क और कर लगाएगा। चुनाव अभियान के दौरान ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि अगर ब्रिक्स देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए अमेरिकी डॉलर की जगह किसी दूसरी मु्द्रा को लाने की कोशिश करते हैं तो वह इन देशों पर शुल्क लगाएंगे।
व्यापक स्तर पर व्यापार शुल्क लगाने से अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जिससे फेडरल रिजर्व द्वारा इस साल दर कटौती की गुंजाइश कम होगी। इस आशंका से अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड बढ़ गई और डॉलर मजबूत हुआ, जिससे दुनिया भर के बाजारों में बिकवाली देखी गई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 5,920 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की। इस महीने विदेशी निवेशक 52,453 करोड़ रुपये के शेयर बेच चुके हैं। निवेशकों की नजर अगले महीने आने वाले आम बजट पर है। निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार बजट में मांग को बढ़ावा देने के उपाय कर सकती है।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक सौरभ मुखर्जी ने कहा, ‘ट्रंप ने अभी तक ऐसा कुछ कहा या किया नहीं है जिससे खास तौर पर भारत को नुकसान हो। भारतीय अर्थव्यवस्था की गति थोड़ी धीमी हुई है मगर यह समय-समय पर होता रहता है। बजट में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के उपाय नहीं किए गए तो मुझे लगता है कि 2025 अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार के लिए कठिन साल हो सकता है।’