पिछले साल बजट में गोल्ड को लेकर कुछ ऐसे फैसले हुए थे जिसे गोल्ड के इतिहास का काला दिन कहा गया। 23 जुलाई, 2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अचानक गोल्ड की इंपोर्ट ड्यूटी 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दी थी जिससे गोल्ड की कीमतों में जबरदस्त गिरावट आई थी। इस गिरावट को देखते हुए ही इसे काला दिन कहा गया।
इस गिरावट का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बजट से पहले जहां गोल्ड का भाव करीब 82,000 प्रति 10 ग्राम था। इंपोर्ट ड्यूटी 15 फीसदी से 6 फीसदी पर आने की खबर के बाद अगले 7 से 10 दिनों में गोल्ड का रेट करीब 6000 रुपए घटकर 76,000 प्रति 10 ग्राम पर आ गया था। हालांकि भारत जैसे देश, जहां गोल्ड की बहुत डिमांड है वहां बहुत दिनों तक गोल्ड का सस्ता रहना मुश्किल है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय महिलाओं के पास करीब 24,000 टन गोल्ड है। यह दुनिया के कुल गोल्ड का 11 फीसदी है। और दिलचस्प है कि भारत में सबसे ज्यादा गोल्ड तमिलनाडु में है। यानि भारत के कुल गोल्ड का करीब 28 फीसदी सिर्फ तमिलनाडु में है। पिछले साल जब तीसरी बार नरेंद्र मोदी सरकार बनी तो 23 जुलाई को पूर्ण बजट पेश किया गया था।
इस साल बजट में क्या होगा?
ऐसे में एक अनुमान ये भी लगाया जारी है कि क्या सरकार इस साल भी कुछ ऐसे फैसले ले सकती है जिसका गोल्ड प्राइस पर असर हो। हालांकि इस बार इंपोर्ट ड्यूटी को लेकर इंडस्ट्री की तरफ से कोई मांग नहीं रखी गई है।
ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल (GJC) के चेयरमैन राजेश रोकड़े ने अपनी कुछ डिमांड सामने रखी है। उनकी मांग है कि गोल्ड की तरह सिल्वर की भी हॉलमार्किंग होनी चाहिए। ताकि सिल्वर की शुद्धता भी पक्की हो सके।
रोकड़े की एक बड़ी डिमांड बुलियन मार्केट में हॉलमार्किंग को लेकर है। उनका कहना है कि गोल्ड ज्वैलरी की हॉलमार्किंग की तरह बुलियन मार्केट में भी हॉलमार्किंग होनी चाहिए। इसके मायने हैं कि गोल्ड बार या सोने के सिक्कों पर भी हॉलमार्क होना चाहिए।
हॉलमार्क से गोल्ड की शुद्धता का पता चलता है। आमतौर पर माना जाता है कि गोल्ड बार और क्वाइन शुद्ध यानि 24 कैरेट के होते हैं इसलिए फिलहाल उनपर कोई हॉलमार्क नहीं होता है। लेकिन अब इंडस्ट्री की डिमांड है कि इन दोनों की भी हॉलमार्किंग होनी चाहिए।
GST घटाने की मांग
जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री की एक बड़ी डिमांड गोल्ड पर से GST घटाने को लेकर है। फिलहाल गोल्ड ज्वैलरी के कुल रेट पर 3 फीसदी GST लगता है। जबकि इंडस्ट्री की डिमांड है कि इसे घटाकर 1 फीसदी किया जाए ताकि बिजनेस को सपोर्ट मिल सके।