Tech Mahindra Salary Hike: इस वित्त वर्ष 2025 में टालते-टालते आखिरकार आईटी कंपनी टेक महिंद्रा ने मार्च तिमाही में सैलरी बढ़ाने की योजना का ऐलान कर ही दिया। हालांकि मैनेजमेंट ने यह भी खुलासा किया कि इस हाइक के चलते कंपनी के ऑपरेटिंग मार्जिन को करीब 1-1.5 फीसदी का झटका लगेगा। बाजार की निगाहें नतीजे के साथ-साथ इसके सैलरी हाइक की योजना पर थी। आईटी सेक्टर में हाइक के फैसले पर देरी की मुख्य वजह कमजोर मैक्रोइकनॉमिक माहौल और कमाई का दबाव है। हालांकि जब डिमांड सुधरना शुरू हुआ तो कंपनियों ने अटके पड़े हाइक के फैसले को लागू करना शुरू किया।
बाकी बड़ी आईटी कंपनियों के क्या हैं हाल?
टेक महिंद्रा ने सैलरी हाइक को चालू वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2025 से लागू करने का फैसला किया है। आईटी सेक्टर के बाकी कंपनियों की बात करें तो इंफोसिस में भी सैलरी हाइक इसी तिमाही हो रहा है। ये दोनों इस सेक्टर की बाकी कंपनियों की तुलना में सैलरी हाइक के मामले में काफी पीछे रह गईं क्योंकि टीसीएस ने पहली तिमाही में, एचसीएल टेक ने सितंबर तिमाही में और विप्रो ने दिसंबर तिमाही में लागू किया था। इंफोसिस की बात करें तो यहां चरणबद्ध तरीके से पहले 1 जनवरी से और फिर 1 अप्रैल से लागू होना है।
Tech Mahindra के निवेशकों के लिए चिंता की बात?
सैलरी हाइक के फैसले से मैनेजमेंट ने मार्जिन को झटके की आशंका जताई है। हालांकि मैनेजमेंट का यह भी मानना है कि कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन की पहल प्रोजेक्ट फोर्टियस (Project Fortius) अच्छे से आगे बढ़ रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत कंपनी की योजना अधिग्रहण की बजाय ऑर्गेनिक ग्रोथ पर फोकस करेगी और वित्त वर्ष 2027 तक रेवेन्यू ग्रोथ को टॉप-6 या टॉप-7 आईटी कंपनियों में टॉप पर रखना है। इस प्रोजेक्ट का ऐलान पिछले साल अप्रैल में हुआ था और इसके तहत तीन साल में 15 फीसदी का ऑपरेटिंग मार्जिन का लक्ष्य रखा गया है। मैनेजमेंट का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ डील हासिल करने पर अधिक प्रॉयोरिटी के जरिए सैलरी हाइक से मार्जिन पर झटका हल्का हो जाएगा।
दिसंबर तिमाही के नतीजे की बात करें तो कंपनी का नेट प्रॉफिट तिमाही आधार पर 21.4 फीसदी गिरकर 983 करोड़ रुपये पर आ गया लेकिन EBIT इस दौरान 5.4 फीसदी बढ़कर 1350 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं मार्जिन 9.6 फीसदी से बढ़कर 10.2 फीसदी पर पहुंच गया। रेवेन्यू की बात करें तो तिमाही आधार पर यह महज 0.20 फीसदी बढ़कर 13,286 करोड़ रुपये रहा।