CEAT Q3 Results: आरपीजी ग्रुप की टायर बनाने वाली कंपनी सिएट लिमिटेड ने FY25 की तीसरी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कंपनी का नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 46.5 फीसदी घट गया है। कंपनी ने इस अवधि में 97.1 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया। कंपनी ने रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा कि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में उसे ₹181.5 करोड़ का मुनाफा हुआ था। कंपनी के शेयरों में आज 0.51 फीसदी की तेजी देखी गई और यह स्टॉक BSE पर 3057.50 रुपये के भाव पर बंद हुआ है।
CEAT का रेवेन्यू 11 फीसदी बढ़ा
दिसंबर तिमाही के दौरान सिएट का रेवेन्यू 11.4 फीसदी बढ़कर 3299.9 करोड़ रुपये हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 2963.1 करोड़ रुपये था। तीसरी तिमाही में EBITDA 18.3% घटकर ₹340.9 करोड़ रह गया, जबकि वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में यह ₹417.5 करोड़ था। तिमाही के दौरान EBITDA मार्जिन 10.3 फीसदी रहा, जबकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 14.1 फीसदी था।
CEAT का 400 करोड़ रुपये का कैपेक्स प्लान
CEAT ने महाराष्ट्र के नागपुर के बुटीबोरी में स्थित अपने प्लांट में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए ₹400 करोड़ के कैपेक्स का प्रस्ताव रखा है। मौजूदा प्लांट में वर्तमान में सालाना लगभग 270 लाख टायर का उत्पादन होता है, जिसमें 90% कैपिसिटी यूटिलाइजेशन होता है। विस्तार का लक्ष्य क्षमता में 30 फीसदी की वृद्धि करना है और उम्मीद है कि अतिरिक्त क्षमता वित्त वर्ष 2027-28 के अंत तक चालू हो जाएगी।
CEAT के CEO का बयान
CEAT के एमडी और सीईओ अर्नब बनर्जी ने कहा, “हमने सालाना मजबूत डबल डिजिट ग्रोथ देखी, जिसका मुख्य कारण रिप्लेसमेंट सेगमेंट में बढ़ती मांग रही। हालांकि कच्चे माल की बढ़ती लागत से हमारे मुनाफे पर असर पड़ा, लेकिन हमने तिमाही के दौरान कुछ कैटेगरी में कीमतें बढ़ाकर इसका कुछ हिस्सा ग्राहकों पर डाला। मांग स्थिर बनी हुई है, और सभी सेगमेंट में हमारा ऑर्डर बुक काफी मजबूत है। हमें उम्मीद है कि चौथी तिमाही में कच्चे माल की कीमतें लगभग स्थिर रहेंगी और विकास की रफ्तार जारी रहेगी।”
CEAT के CFO कुमार सुब्बैया ने कहा, “इस तिमाही में कच्चे माल की लागत बढ़ने के कारण हमारे कुल मुनाफे पर असर पड़ा। हमने इसका कुछ असर कीमतें बढ़ाकर और खर्चों को नियंत्रित करके संभाल लिया। इसी दौरान, तिमाही के दौरान हमारा कैपेक्स ₹283 करोड़ रहा, जिसे हमने पूरी तरह से अपनी आंतरिक बचत से पूरा किया, इसलिए हमारा कर्ज पहले जैसा ही बना हुआ है।”