Currency trading : मंगलवार को भारतीय रुपया 86.64 रुपए प्रति डॉलर के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ। वहीं, सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 86.58 के स्तर पर बंद हुआ था। मिरे एसेट शेयरखान में रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी का कहना है कि घरेलू बाजारों में मामूली उछाल और कमजोर अमेरिकी डॉलर के कारण भारतीय रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबर गया। भारत की रिटेल महंगाई भी दिसंबर में घटकर 5.22 फीसदी पर रही है। जबकि नवंबर में यह 5.48 फीसदी थी। गुरुवार को अमेरिकी डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आई, जिससे गिरते रुपये को कुछ राहत मिली। अमेरिका के 10 वर्षीय बॉन्ड पर भी लगभग 0.4 फीसदी की गिरावट आई है।
उन्होंने आगे कहा कि उम्मीद है कि रुपया कमजोर रहेगा क्योंकि अमेरिकी डॉलर में दिख रही मजबूती और घरेलू बाजारों में कमजोरी के रुझान से रुपये पर फिर से दबाव पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमतें लगातार ऊंची बनी हुई हैं जिससे महंगाई का दबाव बढ़ रहा है। ट्रेडर आज अमेरिका से पीपीआई डेटा और कल आने वाले अमेरिकी सीपीआई डेटा से संकेत ले सकते हैं। आगे USDINR स्पॉट प्राइस 86.40 रुपये से 86.85 रुपये के बीच ट्रेंड करने की उम्मीद है।
इस बीच भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले अनुभव बताते हैं कि भारतीय रुपये (आईएनआर) के लिए “ट्रंप टैंट्रम” एक शॉर्ट टर्म घटना होगी। इसमें डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद के शुरुआती दिनों के शुरुआती झटकों के बाद हमारी करेंसी के स्थिर होने की उम्मीद है। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो बाजार की धारणा के विपरीत गैर-ट्रंप या डेमोक्रेटिक शासन के तहत रुपया ज्यादा कमजोर रहा है। पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि बाइडेन के राष्ट्रपति काल में डॉलर के मुकाबले रुपया 29 फीसदी टूटा है। जबकि यह ट्रंप के पिछले कार्यकाल में सिर्फ 18 फीसदी टूटा था।
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