Market views: भारतीय बेंचमार्क इंडेक्सों ने 13 जनवरी को लगातार चौथे सत्र में गिरावट जारी रखी। इस गिरावट में सभी सेक्टरों में बिकवाली आई। कच्चे तेल की कीमतें 3 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गईं और वैश्विक बाजारों में कमजोरी रही। निवेशकों की 2025 में अमेरिकी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कम हो गई है। इसका असर आज बाजार पर दिखा। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 1,048.90 अंक या 1.36 फीसदी की गिरावट के साथ 76,330.01 पर और निफ्टी 345.55 अंक या 1.47 फीसदी की गिरावट के साथ 23,085.95 पर बंद हुआ है। आज की गिरावट में निवेशकों की लगभग 12.39 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति स्वाहा हो गई। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप पिछले सत्र के 429.67 लाख करोड़ रुपये से घटकर 417.28 लाख करोड़ रुपये रह गया।
मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे का कहना है कि अमेरिका द्वारा रूसी तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से रुपया डॉलर के मुकाबले नये निचले स्तर पर पहुंच गया, जिसके कारण घरेलू शेयर बाजारों में भारी गिरावट आई। रुपए में कमजोरी बढ़ने के साथ ही विदेशी निवेशक स्थानीय शेयर बाजार से दूर होते जा रहे हैं। सभी सेक्टरों में व्यापक बिकवाली के साथ-साथ मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में भारी बिकवाली ने सेंटीमेंट को और खराब कर दिया। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से घरेलू महंगाई में उछाल की चिंता बढ़ेगी,इससे निकट से मध्यम अवधि में आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में कटौती में और देरी हो सकती है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विनोद नायर का कहना है कि ग्लोबल मार्केट में भारी बिकवाली देखने को मिली। जिससे घरेलू बाजारों में भी इसी तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली। मजबूत अमेरिकी पेरोल डेटा ने 2025 में ब्याज दरों में कम कटौती का संकेत दिया है। इससे डॉलर मजबूत हुआ है, बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी हुई है और उभरते बाजार कम आकर्षक हो गए हैं। हाल ही में जीडीपी में गिरावट और हाई वैल्यूएशन के बीच अर्निंग्स में कमजोरी ने बाजार के सेंटीमेंट को भारी नुकसान पहुंचाया है। निकट अवधि में वोलैटिलिटी बनी रह सकती है। 2025 का बजट, तीसरी तिमाही के नतीजे, आरबीआई की नीति और ट्रम्प की नीतियां शॉर्ट टर्म में बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे।
एलकेपी सिक्योरिटीज के रूपक डे का कहना है कि निफ्टी के तमाम अहम स्तरों को तोड़ने के साथ ही बाजार पर मंदड़िए हावी रहे। डेली चार्ट पर निफ्टी अपने पिछले स्विंग लो से नीचे फिसल गया है जो बढ़ती मंदी का संकेत है। हालांकि इसने 23000 के स्तर को बचाए रखा है जो एक अहम स्तर है। अगर निफ्टी अगले कुछ दिनों में 23,000 से ऊपर बना रहता है तो इसमें रिकवरी हो सकती है। इसके विपरीत, इस स्तर से नीचे एक निर्णायक गिरावट एक डीप करेक्शन को ट्रिगर कर सकती है।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा का कहना है कि निफ्टी नवंबर 2024 के निचले स्तर 23,263.15 से नीचे आ गया है, साथ ही वोलैटिलिटी इंडेक्स में भी भारी बढ़त हुई है। इससे आगे और गिरावट के जोखिम का संकेत मिल रहा है। निफ्टी के लिए बड़ा सपोर्ट 22,700 के स्तर पर है। हालांकि चुनिंदा हेवीवेट शेयरों में ओवरसोल्ड पोजीशनों के कारण डाउनट्रेंड पर कुछ समय के लिए विराम लग सकता है। ऐसे में ट्रे़डरों को सलाह है कि वे जोखिम प्रबंधन को प्राथमिकता देते हुए इंडेक्स “उछाल पर बिकवाली” का नजरिया बनाए रखें। अलग सेक्टरों की बात करें तो में आईटी,एफएमसीजी और चुनिंदा फार्मा स्टॉक अपेक्षाकृत स्टेबल हैं,जबकि दूसरे सेक्टरों में काफी दबाव में हैं। इन बातों के ध्यान में रखते हुए ट्रेडरों को अपनी पोजीशन तय कनी चाहिए।
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