अमेरिकी बॉन्ड यील्ड तेजी से ऊपर की तरफ जा रही है। मजबूत आर्थिक डेटा के अनुमानों की वजह से 10 साल का ट्रेजरी यील्ड 5 पर्सेंट के आसपास पहुंच गया है। अमेरिकी सरकारी बॉन्ड्स को आम तौर पर सुरक्षित एसेट माना जाता है और उनकी कीमत दबाव में हैं। उच्च दरों की संभावना के मद्देनजर उन्हें काफी जोखिम का साामना करना पड़ रहा है और इस वजह से मौजूदा बॉन्ड्स का आकर्षण कम हो जाता है।
अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी और मजबूत डॉलर का असर भारत और अन्य ग्लोबल इमर्जिंग मार्केट्स पर भी हो रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया 13 जनवरी को 0.7 पर्सेंट की कमजोरी के साथ 86.5963 के लेवल पर पहुंच गया। यह 2023 के शुरू के बाद रुपये की सबसे बड़ी कमजोरी है। इसके अलावा, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी 50 सूचकांक में 1.5 पर्सेंट की गिरावट रही। साथ ही, भारत का 10 साल की बॉन्ड यील्ड 0.7 पर्सेंट बढ़कर 6.85 पर्सेंट पर पहुंच गई। तेल की ऊंची कीमतों और डॉलर में मजबूती से बॉन्ड पर और दबाव देखने को मिला।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती से रेट कट में देरी मुमकिन
अमेरिका में 10 दिसंबर को जारी रोजगार के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में कुल 2,56,000 नौकरियों की बढ़ोतरी हुई, जो अर्थशास्त्रियों के अनुमानों से ज्यादा है। इस तरह बेरोजगारी दर में और गिरावट हुई। इससे अमेरिकी लेबर मार्केट की मजबूती का पता चलता है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, इन आंकड़ों के बाद ब्याज दर में गिरावट की उम्मीदें कमजोर पड़ गई हैं।
अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी निवेशक के सेंटीमेंट में बदलाव की तरफ इशारा करती है और लंबी अवधि वाली ट्रेजरी यील्ड में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। 10 साल की यील्ड बढ़कर 4.79 पर्सेंट पर पहुंच गई, जो नवंबर 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। बैंक ऑफ अमेरिका के एनालिस्ट्स का कहना है कि इनफ्लेशन को लेकर चिंताएं बरकरार हैं, लिहाजा फेडरल रिजर्व ब्याज दर घटाने के बजाय बढ़ा सकता है।