Market views: इन दिनों बाजार को देखकर स्कूल के दिनों की याद आ गई। गणित में एक सवाल होता था। एक 80 मीटर ऊंचे खंभे पर एक बंदर 1 मिनट में 5 मीटर चढ़ता है,परन्तु दूसरे मिनट में वह 2 मीटर नीचे फिसल जाता है तो खंभे के ऊपरी सिरे पर पहुंचने में कितना समय लगेगा? हालांकि यहां मामला उल्टा है। यहां एक 1 मिनट में बंदर 2 मीटर चढ़ता है औऱ दूसरे मिनट में 5 मीटर फिसल जाता है। ऐसे में बंदर खंभे के निचले सीरे तक कब पहुंच जाएगा। शेयर मार्केट में लोग इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश नहीं करते हैं,क्योंकि जवाब सोचकर लोग डर जाते हैं। लोग इस सवाल का जवाब ढूंढने की बजाय,जवाब इस बात का ढूंढ़ रहे हैं कि ये फिसलन कब रुकेगी। यानी बाजार में ये गिरावट कब रुकेगी।
इस सवाल का जवाब खोजने के लिए आपको अगले 30 दिन नजर रखनी होगी। अगला 30 दिन बाजार में काफी निर्णायक होने वाला है। Q3 अर्निंग जिसकी शुरूआत हो चुकी है। 20 जनवरी जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। 1 फरवरी, को वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी। 7 फरवरी जब रिजर्व बैंक अपनी मॉनेटरी पॉलिसी जारी करेगा और अंत में 8 फरवरी को दिल्ली के विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आएगा। ये इवेंट बाजार की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएंगे। अब सवाल उठता है कि इन 30 दिनों में क्या करें। कहां कहा नजर रखें। कब कब पैसा लगाने का मौका मिलने वाला है। आज यहां इन्हीं सवालों के जवाब खोजने की कोशिश हो रही है।
इस पर अपनी राय देते हिए इंडस्ट्री वैटरन सुनील सुब्रमणियम ने कहा कि इन इवेंट्स में एक छोटी इवेंट इकोनॉमिक सर्वे से हमारी नजर चूक गई। स्टॉक मार्केट के लिए ऑर्थिक बुनियाद बहुत अहम होता है। इस पर नजर रखने के लिए इकोनॉमिक सर्वे हमारे राडार पर रहेगा। इन इवेंट्स में भी नतीजों का मौसम बाजार के लिए सबसे अहम होगा। चूंकि पिछली तिमाही के नतीजे अच्छे नहीं रहे थे। इस लिए इस तिमाही में अर्निंग्स में क्या बदलाव होगा इस पर बाजार की नजर रहेगी। जब तक बजट आएगा तब तक तीसरी तिमाही के आधे नतीजे आ जाएंगे। कंपनियों के आगे के गाइडेंस बाजार के लिए बहुत अहम होगा
Roha Asset Managers के हेड ऑफ इक्विटी दलजीत कोहली ने कहा कि बाजार तीसरी तिमाही के नतीजों के मौसम ये मानकर जा रहा है कि तीसरी तिमाही में रिकवरी आएगी। अब यहीं पर थोड़ी सी दिक्कत है। क्योंकि अगर ये रिकवरी नहीं आई तो फिर क्या? ये बड़ा सवाल है। आईटी के लिए तीसरी तिमाही अच्छी रह सकती है। फार्मा और हेल्थकेयर से भी अच्छा करने की उम्मीद है। इसके अलावा बाकी सभी सेक्टरों में नरमी देखने को मिल सकती है। जितनी रिकवरी की हम उम्मीद कर रहे हैं शायद उतनी रिकवरी देखने को न मिले।
सरकार से भी कैपेक्स की काफी उम्मीद दिख रही थी। लेकिन पिछले तीन महीनों में इस मोर्चे पर भी ज्यादा कुछ होता नहीं दिखा है। जब तक सरकारी कैपेक्स में तेजी नहीं आएगी तब तक हमें इंफ्रा और बाकी कंपनियों में तेजी नहीं दिखेगी। हालांकि ग्रामीण खपत और वहां से आ रही कमेंट्री अच्छी है। लेकिन शहरी डिमांड में कमजोरी कायम है। ऐसे में खपत वाली कंपनियों से भी कोई बड़ी उम्मीद नहीं है।
Piper Serica के फाउंडर और फंड मैनेजर अभय अग्रवाल का कहना है कि तीसरी तिमाही हमें फिर से निराश करेगी। महंगाई बढ़ने, कॉस्ट ऑफ कैपिटल में बढ़त और टैक्स सिस्टम के कंज्यूमर फ्रेंडली न होने के कारण लोगों की क्रयशक्ति में गिरावट आई है। इन तीनों कारणों की वजह से देश के मिडिल क्लॉस और एसएमई व्यवसायियों की खर्च करने की क्षमता काफी कम हुई है। इसकी वजह से खपत में कमी आई है। ये बाजार और निवेशकों के लिए चिंता का बड़ा विषय है। शॉर्ट से मीडिय टर्म में बाजार उछाल में बिकवाली वाला ही रहेगा।
SW Capital के डायरेक्टर पंकज जैन ने कहा कि बाजार में एफआईआई की बिकवाली थमने की उम्मीद नहीं दिख रही है। अगर तीसरी तिमाही को नतीजे ठीक रहते हैं तो हेल्थ केयर, फार्मा, टेक्नोलॉजी और ऑटो सेक्टर में कुछ तेजी आ सकती है। पंकज जैन का मानना है कि तीसरी तिमाही में ऑटो सेक्टर के नतीजे अच्छे रह सकते हैं। बाजार में सुधार आने में थोड़ा कुछ और समय लग सकता है।
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