भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को तीन महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार बिकवाली और भारतीय बैंकों के ऋण-जमा के कमजोर आंकड़ों की तिमाही सूचनाओं के कारण सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखी गई। ऐसे में कंपनियों के दिसंबर तिमाही के नतीजों के बारे में अब चिंताएं बढ़ गईं हैं।
सेंसेक्स 1258 अंक या 1.6 फीसदी की गिरावट के साथ 77,965 पर बंद हुआ वहीं निफ्टी 389 अंक या 1.6 फीसदी गिरकर 23, 616 पर बंद हुआ। दोनों ही सूचकांकों के लिए सोमवार की गिरावट 3 अक्टूबर, 2024 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है। बाजार की अस्थिरता का पैमाना कहलाने वाला इंडिया वीआईएक्स 15.6 फीसदी बढ़कर 15.6 पर पहुंच गया जो 22 नवंबर, 2024 के बाद का उच्चतम स्तर है। बीएसई पर सूचीबद्ध फर्मों का कुल बाजार पूंजीकरण 11 लाख करोड़ रुपये घटकर 438 लाख करोड़ रुपये हो गया।
दिसंबर तिमाही के लिए कारोबार से जुड़ी अद्यतन सूचनाओं के निराशाजनक होने से कारोबारी धारणाओं पर असर पड़ा और इसके कारण बैंकिंग शेयरों में बिकवाली बढ़ी। एचडीएफसी बैंक का शेयर 2.2 फीसदी गिरा और यह सेंसेक्स की गिरावट में भागीदारी करने वाला दूसरा बड़ा शेयर रहा। कोटक महिंद्रा बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और ऐक्सिस बैंक के शेयर भी गिरे।
एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स ऑल्टरनेट स्ट्रैटेजीज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘सप्ताहांत के दौरान बैंकों ने अपने ऋण और जमा वृद्धि के आंकड़ों की जानकारी दी जो आंकड़े अच्छे नहीं थे। कमजोर बाजार धारणा के बीच एचएमपीवी के डर के कारण नकारात्मक माहौल बन गया।’
सोमवार को एफपीआई ने 2,575 करोड़ रुपये की बिकवाली की। इस महीने अब तक एफबीआई ने 7,160 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है। देश के शेयर बाजार में कंपनियों की फीकी आमदनी और कमजोर मांग के बीच सितंबर के आखिरी हफ्तों से ही बिकवाली देखी गई है।
अधिक मूल्यांकन और अमेरिका जैसे अधिक आकर्षक बाजारों में पूंजी स्थानांतरित होने के कारण एफपीआई की बिक्री ने निवेशकों की धारणा पर दबाव डाला है। इस बीच रुपया अब तक के नए निचले स्तर 85.8 पर पहुंच गया है।
हॉलैंड ने कहा, ‘यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर बैठने के बाद डॉनल्ड ट्रंप की नीति क्या होंगी इसीलिए एफपीआई फिलहाल अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए किनारे रहना ही पसंद करेंगे। बाजार ने जनवरी के पहले कुछ दिनों में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। इसीलिए वे अपने निवेश की बिकवाली कर रहे हैं।’ दिसंबर तिमाही में कंपनियों की कमाई, फरवरी में पेश होने वाले आम बजट और ट्रंप के कार्यभार संभालने के बाद अमेरिका में नीतिगत बदलाव से ही बाजार की दिशा निर्धारित होगी।
निफ्टी मिडकैप 100 में 2.7 फीसदी की गिरावट देखी गई जो पिछले वर्ष 20 दिसंबर के बाद से सबसे अधिक गिरावट है। निफ्टी स्मॉल कैप 100 में 3.2 फीसदी की गिरावट आई जो 22 अक्टूबर, 2024 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट है। शेयर बाजार में गिरावट बेहद व्यापक थी और बीएसई पर 3,530 शेयरों में गिरावट आई जबकि 611 शेयरों में उछाल देखी गई। एचडीएफसी बैंक के अलावा, आईटीसी में 2.8 फीसदी और रिलायंस इंडस्ट्रीज में 2.7 फीसदी की गिरावट रही जिनका सेंसेक्स की गिरावट में बड़ा हाथ रहा।