वाहनों के लिए कलपुर्जा बनाने वाली कंपनियों को मांग में नरमी और वैश्विक बाजार में मंदी की वजह से चालू और अगले वित्त वर्ष में राजस्व में 6 से 8 फीसदी की गिरावट आने के आसार हैं। कंपनियां अब इसी प्रभाव को कम करने के लिए अपने बाजार में विविधता ला रही हैं।
क्रिसिल की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, रिप्लेसमेंट मांग से कुछ मदद मिल सकती है मगर पिछले साल की अपेक्षा निर्यात वृद्धि में गिरावट की आशंका है। इसने कई कंपनियों को वृद्धि के नए रास्ते तलाशने के लिए प्रेरित किया है।
RBS Group क्या कहता है-
वाहनों के लिए कलपुर्जा बनाने वाला प्रमुख आरएसबी समूह ने बुनियादी ढांचे में निवेश की कमी के कारण वाणिज्यिक वाहनों और निर्माण उपकरण क्षेत्र में 15 फीसदी तक नरमी आने की बात स्वीकार की है। कंपनी ने सरकारी खर्च और जीडीपी वृद्धि पर उद्योग की निर्भरता के बारे में भी बताया है।
इससे निपटने के लिए आरएसबी अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है खासकर भारत से निर्यात बढ़ाने के लिए मेक्सिको में अपनी उपस्थिति का फायदा उठा रहा है। कंपनी आने वाले वित्त वर्ष में निर्यात को अपने टर्नओवर का कम से कम 20 फीसदी करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। कंपनी अपनी प्रौद्योगिकी क्षमताओं को बढ़ा रही है और अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने के लिए अधिग्रहण की संभावनाएं भी तलाश रही है।
आरएसबी समूह के उपाध्यक्ष एसके बेहड़ा ने कहा, ‘मंदी के इस प्रभाव को कम करने के लिए आरएसबी अपनी वैश्विक उपस्थिति बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है खासकर भारत से निर्यात बढ़ाने के लिए मैक्सिको में अपनी उपस्थिति का लाभ उठा रही है। हम लंबी अवधि की वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए कृषि, रेलवे और रक्षा जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक अधिग्रहण और विविधता लाने की भी संभावनाएं तलाश रहे हैं।’ रणनीतिक साझेदारी और विविधता लाने के प्रयासों के साथ समूह का लक्ष्य अगले तीन से चार वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करने का है।
Kinetic Engineering क्या कर रही है-
वाहनों के लिए कलपुर्जा बनाने वाली एक अन्य कंपनी काइनेटिक इंजीनियरिंग ने इस मंदी से निपटने के लिए रूपरेखा तैयार की है। कंपनी के उपाध्यक्ष अजिंक्य फिरदौसिया इस पर जोर दिया है कि स्टॉक में सुधार पूरा हो गया है और उत्पादन की समयसीमा भी सामान्य हो रही है इसलिए कंपनी अब वृद्धि को बल देने के लिए कई पहलों को अपना रही है। पारंपरिक रूप से अमेरिकी निर्यात पर ध्यान देने वाली कंपनी अब अपने ग्राहक आधार में भी विविधता ला रही है क्योंकि अब वाहनों के लिए कलपुर्जा बनाने वाली कंपनी निर्यात के अवसर बढ़ने और अपने उत्पादों को घरेलू बाजार में लाने के लिए यूरोपीय ग्राहकों के साथ बातचीत कर रही है, जो काफी आगे बढ़ चुकी है।
इसके अलावा कंपनी भारत का पहला नायलॉन कोटिंग संयंत्र भी स्थापित करने जा रही है, जिसका लक्ष्य अमेरिका में होने वाले कार्यों को भारत में लाने का है।
दूसरी ओर, औद्योगिक विद्युत समाधान प्रदाता ट्रिनिटी टच भी अलग-अलग रणनीतियों के जरिये बाजार की अस्थिरता को नियंत्रित कर रही है। हालांकि, कंपनी का अधिकतर निर्यात ग्राहकों की मांग से ही जुड़ा है, लेकिन वह प्रत्यक्ष निर्यात के भी असर तलाश रही है और वैश्विक मानकों का अनुपालन भी सुनिश्चित कर रही है।