IndiQube Spaces IPO: वेस्टब्रिज (WestBridge) के निवेश वाली इंडीक्यूब स्पेसेज (IndiQube Spaces) अब घरेलू स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कंपनी ने बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल कर दिया है। को-वर्किंग और मैनेज्ड स्पेस ऑपरेटर इंडीक्यूब स्पेसेज का यह आईपीओ करीब 850 करोड़ रुपये का हो सकता है। इसके तहत नए शेयर भी जारी होंगे। इसके अलावा इश्यू के ऑफर फॉर सेल (OFS) विंडो के जरिए प्रमोटर्स भी अपनी हिस्सेदारी हल्की करेंगे। इसके प्री-आईपीओ प्लेसमेंट पर भी कंपनी विचार कर सकती है।
IndiQube Spaces IPO की खास बातें
इंडीक्यूब स्पेसेज के 850 करोड़ रुपये के आईपीओ के तहत 750 करोड़ रुपये के नए शेयर जारी होंगे। इंडीक्यूब प्राइवेट प्लेसमेंट, राइट्स इश्यू या प्रिफरेंशियल ऑफर के जरिए 150 करोड़ रुपये जुटा सकती है और अगर ऐसा होता है तो फ्रेश इश्यू साइज कम हो सकता है। इसके अलावा प्रमोटर्स रिशि दास और मेघना अग्रवाल इश्यू के ऑफर फॉर सेल विंडो के जरिए 100 करोड़ रुपये तक के शेयरों की बिक्री करेंगे।
अब आईपीओ के पैसों के इस्तेमाल की बात करें तो ऑफर फॉर सेल का पैसा तो शेयर बेचने वालों को मिलेगा। वहीं नए शेयरों के जरिए जुटाए गए पैसों में से 462.6 करोड़ रुपये से नए सेंटर बनाए जाएंगे। 100 करोड़ रुपये से कर्ज हल्का किया जाएगा। इस पर 227.45 करोड़ रुपये का कर्ज है। बाकी पैसों का इस्तेमाल आम कॉरपोरेट उद्देश्यों में होगा।
इंडीक्यूब के बारे में
इंडीक्यूब स्पेसेज को रिशि दास, मेघना अग्रवाल और अंशुमार दास ने मिलकर बेंगलुरू में वर्ष 2015 में शुरू किया था। रिशि दास इसके चेयरमैन, एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर और सीईओ हैं तो मेघना अग्रवाल चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) और एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर हैं जबकि अंशुमान दास इसके नॉन-एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर हैं। वेस्टब्रिज ने वर्ष 2018 में और आशीष गुप्ता ने वर्ष 2019 में इसमें पैसे डाले थे। प्रमोटर्स की इसमें 70.86 फीसदी हिस्सेदारी है और बाकी 29.14 फीसदी वेस्टब्रिज समेत पब्लिक शेयरहोल्डर्स की।
अब कंपनी के कारोबार की बात करें तो देश के 13 शहरों में इसके पास 103 सेंटर्स हैं जो 77.6 लाख वर्ग फीट में फैले हुए हैं और सीटिंग कैपेसिटी 1,72,451 की है। इसमें से 50.4 लाख वर्ग फीट में फैले 60 सेंटर्स तो अकेले बेंगलुरु में हैं। वित्त वर्ष 2024 में कंपनी को 341.5 करोड़ रुपये का नेट लॉस हुआ था। वित्त वर्ष 2023 में इसका शुद्ध घाटा 198 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2022 में 188.4 करोड़ रुपये का था। इसे कमजोर ऑपरेटिंग मार्जिन और बाकी खर्चों में तेज उछाल के चलते झटका लगा। वित्त वर्ष 2024 में EBITDA सालाना आधार पर 4.4 फीसदी गिरकर 226.3 करोड़ रुपये पर आ गया। मार्जिन तो तेजी से 13.57 फीसदी फिसलकर 27.25 फीसदी पर आ गया। हालांकि रेवेन्यू 43.3 फीसदी बढ़कर 830.6 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।