रक्षा मंत्रालय ने एलएंडटी (L&T) के साथ एक बड़े समझौते की घोषणा की है। रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, मंत्रालय और एलएंडटी के बीच इस कॉन्ट्रैक्ट पर 20 दिसंबर को हस्ताक्षर किए गए। यह कॉन्ट्रैक्ट 155 एमएम/52 कैलीबर के-9 वज्र टी सेल्फ प्रोपेल्ड ट्रैक्ट आर्टिलरी गन को खरीदने के लिए किया गया। यह डील 7,628 करोड़ रुपये में हुई है। इस कॉन्ट्रैक्ट पर रक्षा मंत्रालय और एलएंडटी के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए गए। एलएंडटी का स्टॉक 20 दिसंबर को 2 पर्सेंट से ज्यादा की गिरावट के साथ 3,631 रुपये पर बंद हुआ।
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इस खरीद से भारतीय सेना की ताकत में बढ़ोतरी होगी और इसकी मदद से भारतीय सेना के तोपखाने के आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा। मंत्रालय के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की मदद से 4 साल की अवधि में 9 लाख से अधिक मानव-दिवस के बराबर रोजगार मिलेगा। इसके साथ ही इसमें कई और इंडस्ट्रीज (MSME) के लिए अवसर मिलेंगे। रिलीज के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया पहल की दिशा में ही है।
पिछले हफ्ते ही कैबिनेट कमेटी ने 100 अतिरिक्त के-9 वज्र की खरीद को मंजूरी दी थी। इस खरीद का मकसद चीन से लगी सीमाओं पर सेनाओं को पहले से ज्यादा ताकत देना है। भारत के पास पहले से यह गन मौजूद है। चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच के-9 वज्र को लद्दाख जैसे ठंडे इलाकों के हिसाब से तैयार कर तैनात किया गया था।
यह आर्टिलरी गन अपनी खुद की पावर से एक जगह से दूसरी जगह तेजी से ले जाई जा सकती हैं। गन 15 सेकेंड में 3 राउंड फायर कर सकती है। इसकी रेंज 40 किलोमीटर की है। यह गन दुनिया की आधुनिक आर्टिलरी गन में शामिल है और बेहद तेजी के साथ अचूक निशाने लगा सकती है।