इंश्योरेंस के लिए साल 2024 खास रहा। इंश्योरेंस रेगुलेटर ने ग्राहकों के हित में नियमों में कई बड़े बदलाव किए। इसका फायदा लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस सहित सभी तरह के ग्राहकों को होगा। इनमें कुछ ऐसे नियम भी शामिल हैं जिनमें कई दशकों से बदलाव नहीं हुआ था। पॉलिसीहोल्डर्स को इससे काफी नुकसान उठाना पड़ता था। आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
- लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी की ज्यादा सरेंडर वैल्यू
अब लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी सरेंडर करने पर ग्राहक को ज्यादा पैसे मिलेंगे। इरडा के नए नॉर्म में सरेंडर वैल्यू (Surrender Value) के पुराने नियम को बदल दिया गया है। इसका फायदा लाइफ इंश्योरेंस की एन्डॉमेंट पॉलिसी खरीदने वाले ग्राहकों को मिलेगा। अगर किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसने जो पॉलिसी खरीदी है वह उसके लिए ठीक नहीं है, उसे गलत पॉलिसी बेची गई है या वह प्रीमियम नहीं चुका पाने की वजह से पॉलिसी बंद करना चाहता है तो उसे चुकाए गए प्रीमियम का ज्यादा हिस्सा वापस मिल जाएगा।
2.हेल्थ पॉलिसी के मॉरेटोरियम पीरियड में कमी
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के मॉरेटोरियम पीरियड को घटाकर 5 साल कर दिया गया है। पहले यह 8 साल था। इरडा के नए नियम के मुताबिक, अगर किसी पॉलिसी का प्रीमियम लगातार 60 महीनों तक चुकाया जाता है तो बीमा कंपनी नॉन-डिसक्लोजर, मिसरिप्रजेंटेशन आदि के चलते ग्राहक का क्लेम खारिज नहीं कर सकती। सिर्फ फ्रॉड साबित होने पर उसे क्लेम रिजेक्ट करने का अधिकार होगा। लगातार 60 महीने तक प्रीमियम पेमेंट पीरियड को मॉरेटोरियम पीरियड कहा जाता है।
3.हेल्थ पॉलिसी के वेटिंग पीरियड में कमी
हेल्थ पॉलिसी के ग्राहक को पॉलिसी खरीदने के पहले से जो बीमारियां हैं, उनके कवरेज (इलाज खर्च) के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ता है। इसे वेटिंग पीरियड कहा जाता है। इस पीरियड के बीत जाने के बाद ही वह ऐसी बीमारियों के इलाज के लिए हेल्थ पॉलिसी का इस्तेमाल कर सकता है। पहले वेटिंग पीरियड चार साल का था, जिसे इरडा ने घटाकर 3 साल कर दिया है। कुछ बीमा कंपनियां अपनी हेल्थ पॉलिसी में 2 साल का वेटिंग पीरियड भी ऑफर करती हैं।
4.पॉलिसी सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में
IRDAI ने कहा है कि इंश्योरेंस कंपनियों को अब पॉलिसी सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में इश्यू करनी होगी। यह नियम 1 अप्रैल से लागू हो चुका है। डिजिटल फॉर्म में इश्यू की गई पॉलिसी ई-इंश्योरेंस अकाउंट में रखी जाएगी। यह ठीक उसी तरह से जिस तरह सेबी ने फिजिकल शेयरों को डीमैटेरियलाइज्ड फॉर्म में बदलने को अनिवार्य बना दिया था। ग्राहक अपनी पुरानी फिजिकल पॉलिसी को भी इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में बदल सकेंगे।
5. आसान शब्दों में पॉलिसी की जानकारी
बीमा कंपनियों के लिए पॉलिसी डॉक्युमेंट के साथ कस्टमर इंफॉर्मेशन शीट (CIS) करना जरूरी हो गया है। सीआईएस में पॉलिसी से जुड़ी सभी अहम जानकारियां शामिल होंगी। ये सभी जानकारियां आसान शब्दों में होंगी, जिसे समझने में पॉलिसीहोल्डर को कोई दिक्कत नहीं होगी। इनमें पॉलिसी से जुड़े प्रमुख क्लॉज, पॉलिसी के फायदे, प्रीमियम और नियम एवं शर्तों से जुड़ी जानकारियां शामिल होंगी। पहले पॉलिसी डॉक्युमेंट की भाषा बहुत जटिल होती थी, जिससे किसी आम व्यक्ति के लिए उसे समझना मुश्किल होता था।