मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की 18 दिसंबर को होने वाली बैठक में निवेश की सुरक्षा और ईज ऑफ डुइंग बिजनेस से जुड़े कई प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। इसके तहत सेबी का इरादा SME सेगमेंट की लिस्टिंग में ज्यादा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना, कीमत से जुड़ी संवेदनशील जानकारी को लेकर डिस्क्लोजर की स्थिति सुधारना और रजिस्टर्ड इकाइयों के लिए ईज ऑफ डुइंग बिजनेस की राह बनाना है।
SME लिस्टिंग
मार्केट रेगुलेटर SME सेगमेंट में रिटेल इनवेस्टर्स के हितों की सुरक्षा के लिए नए प्रस्ताव पेश कर सकता है। इसके तहत कंपनी की प्री-लिस्टिंग के लिए मिनिमम ऐप्लिकेशन साइज को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है, जबकि एलॉटीज की न्यूनतम संख्या 50 से बढ़ाकर 200 करने की बात है। कई प्रस्ताव निवेशकों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। साथ ही, इसका मकसद ऐसे निवेशकों की दिलचस्पी को सीमित करना है, जिनके पास बड़ा जोखिम लेने की क्षमता नहीं है।
इनसाइड ट्रेडिंग नॉर्म्स
सेबी बोर्ड इनसाइडर ट्रेडिंग रेगुलेशंस के तहत प्राइस सेंसिटिव इंफॉर्मेशन (UPSI) की परिभाषा की समीक्षा कर सकता है। एक स्टडी के बाद इसकी समीक्षा करने का फैसला किया गया है, जिसमें कहा गया था कि कंपनियों द्वारा कानून की भावना का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है। सेबी बोर्ड की बैठक में अनपब्लिश्ड प्राइस-सेंसिटिव इंफॉर्मेशन (UPSI) की परिभाषा में बदलाव का प्रस्ताव किया जा सकता है
स्पेशिफाइड डिजिटल प्लेटफॉर्म (SPF)
सेबी ने इस साल अक्टूबर में एक ऐसे फ्रेमवर्क का प्रस्ताव किया था, जिसके जरिये डिजिटल प्लेटफॉर्म SPF के तौर पर मान्यता मिल सके। इस फ्रेमवर्क में उन शर्तों का जिक्र है, जिन्हें प्लेटफॉर्म को पूरा करना होगा, मसलन पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर पॉलिसी, जिसके तहत समय-समय पर फ्रॉड आदि को लेकर की गई कार्रवाइयों के बारे में जानकारी मुहैया कराना। बोर्ड मीटिंग में मार्केट रेगुलेटर इस फ्रेमवर्क को भी विचार के लिए पेश कर सकता है।
परफॉर्मेंस वैलिडेशन एजेंसी
एक और रेगुलेटरी उपाय जिसका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है, वह है परफॉर्मेंस वैलिडेशन एजेंसी की स्थापना। इसका प्रस्ताव एक साल पहले किया गया था। सेबी अपने बोर्ड की बैठक में इस एजेंसी की स्थापना का भी प्रस्ताव पेश कर सकता है।