भारतीय बाजार बुल-रन दौर में बने रहने वाले हैं। हाल ही में हुआ करेक्शन बुल-रन के लंबे वक्त तक चलने के लिए हेल्दी है। यह बात फंड मैनेजर और पूर्णार्थ के मोहित खन्ना ने कही है। उन्होंने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि प्राइमरी बाजारों में मंदी का कोई इश्यू नहीं दिखाई दे रहा है। खन्ना का मानना है कि इससे 2025 में प्राइमरी बाजार जीवंत और उछाल वाले बने रहेंगे। उन्होंने रेपो रेट, देश की आर्थिक वृद्धि समेत कई मुद्दों पर बात की…
क्या ब्याज दर पर RBI का फैसला उम्मीदों के अनुरूप है? फरवरी में होने वाली अगली बैठक में RBI को क्या करना चाहिए?
6 दिसंबर को RBI MPC का बयान काफी हद तक हमारी उम्मीदों के मुताबिक था। रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में MPC (मौद्रिक नीति समिति) का 4:2 का फैसला इस तथ्य को उजागर करता है कि महंगाई से लड़ना RBI की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। RBI का अनुमान है कि महंगाई वित्त वर्ष 2026 की जुलाई-सितंबर तिमाही में ही अपने 4.0 प्रतिशत के टॉलरेंस बैंड से नीचे जाएगी। लेकिन GDP वृद्धि में मौजूदा और अगली तिमाही में क्रमिक रूप से सुधार होने की उम्मीद है। मेरे हिसाब से, हम ऐसी स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं, जहां RBI को आगामी MPC बैठकों में महंगाई और GDP ग्रोथ के बीच अधिक फोकस्ड बैलेंसिंग बनानी होगी।
बैंकिंग उद्योग को राहत देते हुए, RBI ने CRR (कैश रिजर्व रेशियो) में दो किस्तों में 25-25bps की कटौती करने का भी फैसला किया। यह दिसंबर 2024 के अंत तक पूरी हो जाएगी। CRR में कटौती से बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी आने की उम्मीद है। इससे बैंकों को उधार लेने की लागत कम करने में मदद मिलेगी। इससे गिरती हुई क्रेडिट ग्रोथ में कमी आनी चाहिए। फरवरी में RBI का फैसला महंगाई और जीडीपी ग्रोथ ट्राजेक्टरी पर निर्भर करेगा। इस पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी।
क्या वित्त वर्ष 2025 में 6.6 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि हासिल की जा सकती है, हालांकि भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है?
संभावना है कि भारत 6.6 प्रतिशत की संशोधित ग्रोथ अनुमान को हासिल कर लेगा। अपने दूरदर्शी स्वभाव के कारण, बाजार पहले से ही लोअर ग्रोथ नंबर के लिए खुद को एडजस्ट कर चुके हैं। यहां तक कि RBI गवर्नर ने भी अपने प्रेस इंटरैक्शन में इस बात की ओर इशारा किया कि अब तक के हाई फ्रीक्वेंसी डेटा उत्साहजनक रहे हैं और सुझाव देते हैं कि FY25 की जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ नीचे आ गई है। सीमेंट और खनन जैसे मैन्युफैक्चरिंग सब-सेक्टर्स में तेजी आ रही है, जबकि सर्विसेज सेक्टर पहले से ही अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी बेहतर प्रदर्शन कर रही है। इस प्रकार, यह मानकर काम करना उचित है कि वित्त वर्ष 2025 की जीडीपी ग्रोथ 6.6 प्रतिशत होगी।
क्या आपको लगता है कि सोलर वैल्यू चेन में प्रतिस्पर्धी तीव्रता में भारी वृद्धि होगी?
सोलर एनर्जी वैल्यू चेन में चीन की हिस्सेदारी बहुत बड़ी है। इसकी खपत में अधिकतम हिस्सा भारत और अमेरिका का है। भारत और अमेरिका दोनों ही सरकारें चीनी सोलर प्रोडक्ट्स पर लगाम कसने के लिए प्रयास बढ़ा रही हैं। पैनल, मॉड्यूल, फ्रेम, सेल और ग्लास से लेकर पूरी वैल्यू चेन प्रभावित होती है। ऐसे प्रोटेक्शनिस्ट सिनेरियो में भारतीय कंपनियां अब बेहतर स्थिति में हैं। मेरे विचार से एंट्री लेवल पर कम बाधाओं के साथ-साथ बिजनेस फंडामेंट्लस में सुधार से प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है और आखिरकार मीडियम टर्म में सप्लाई की अधिकता हो सकती है।
क्या 2025 में भी प्राइमरी मार्केट में तेजी बनी रहेगी?
भारतीय बाजार बुल-रन दौर में बने रहेंगे। मौजूदा करेक्शन ट्रांजीशनरी है और बुल-रन के लंबे वक्त तक रहने के लिए हेल्दी है। मुझे प्राइमरी बाजारों में मंदी का कोई इश्यू नहीं दिखता। पिछले कुछ वर्षों में शुरू हुए स्टार्ट-अप और वीसी इनवेस्टमेंट फेज ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत में हर साल लिस्ट होने के लिए पर्याप्त कैंडिडेट रहें। लिस्ट होने की होड़ में लगे कारोबारों की व्यापकता भी उत्साहजनक है। क्विक-कॉमर्स, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, रिटेलर्स, लॉजिस्टिक्स, QSR, आदि ऐसे सेक्टर हैं, जिनकी कंपनियां अगले साल लिस्ट हो सकती हैं। यह हमारे प्राइमरी मार्केट्स को 2025 में जीवंत और उछाल वाला बनाए रखेगा।
क्या आप अभी भी अर्निंग्स ग्रोथ को लेकर चिंतित हैं? क्या FY25 के लिए कुल अर्निंग्स ग्रोथ 10 प्रतिशत से कम होगी?
हां, अर्निंग्स ग्रोथ बाजारों के लिए निकट अवधि का जोखिम बनी हुई है। वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में आय कई एकमुश्त कारणों से निराश करती है, जिससे दूसरी छमाही के लिए उम्मीदें बढ़ गई हैं। कुल मिलाकर मेरी उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में सीक्वेंशियल रिकवरी देखने को मिलेगी। हालांकि, मुझे तिमाही आधार पर किसी भी तरह की बड़ी वृद्धि की उम्मीद नहीं है। हालांकि त्योहारी सीजन अच्छा रहा और उसके बाद शादियों का सीजन भी अच्छा रहा, लेकिन कुल खपत ग्रोथ अभी भी धीमी है और सरकार का पूंजीगत खर्च लक्ष्य से पीछे चल रहा है।