मार्केट वैल्यूएशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की वैल्यूएशन पिछले हफ्ते के कारोबार के बाद 2.03 लाख करोड़ रुपए बढ़ी है। इस दौरान टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) टॉप-गेनर रही। कंपनी का मार्केट कैप 62,574.82 करोड़ रुपए बढ़कर 16.09 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
वहीं, HDFC बैंक ने अपने वैल्युएशन में 45,338 करोड़ रुपए जोड़े, अब सबसे बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंक का मार्केट कैप 14.19 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट कैपिटलाइजेशन इस दौरान 26,185 करोड़ रुपए बढ़कर 17.75 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गई है।
एयरटेल की वैल्यू ₹16,720 करोड़ कम हुई
जबकि, बीते हफ्ते के कारोबार के बाद टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के वैल्युएशन में 16,720 करोड़ रुपए की गिरावट हुई है और कंपनी का मार्केट कैप 9.10 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। वहीं, ITC, हिंदुस्तान यूनिलीवर और लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी LIC के वैल्युएशन में भी गिरावट हुई है।
पिछले हफ्ते 1,907 अंक चढ़ा था शेयर बाजार
बीते हफ्ते सेंसेक्स में 1907 अंकों की तेजी देखी गई। हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन 6 दिसंबर को शेयर बाजार में फ्लैट कारोबार रहा। सेंसेक्स 56 अंक की गिरावट के साथ 81,709 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 30 अंक की गिरावट रही, यह 24,677 के स्तर पर बंद हुआ।
वहीं, BSE स्मॉलकैप 342 अंक की तेजी के साथ 57,050 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 17 में गिरावट और 13 में तेजी रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 32 में गिरावट और 18 में तेजी रही। NSE सेक्टोरल इंडेक्स में मेटल सेक्टर सबसे ज्यादा 1.23% की तेजी के साथ बंद हुआ।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?
मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है?
किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?
मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।
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