देश की दूसरी सबसे बड़ी गोल्ड लोन कंपनी मणप्पुरम फाइनेंस और अमेरिका की प्रमुख प्राइवेट इक्विटी फर्म बेन कैपिटल के बीच डील में कुछ देरी हो सकती है। मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि बेन उन शर्तों को लेकर सहमत नहीं है, जो मणप्पुरम के प्रमोटर्स ने ट्रांजैक्शन के लिए पेश किए हैं। माना जा रहा है कि बेन के साथ बातचीत सुस्त पड़ने के बाद कुछ और बैंकों व नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) ने मणप्पुरम फाइनेंस में दिलचस्पी दिखाई है।
मणप्पुरम फाइनेंस में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 35.35 पर्सेंट है और इसमें कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट वीपी नंदकुमार और उनका परिवार भी शामिल है। प्रमोटर्स द्वारा आंशिक या पूरी हिस्सेदारी बेचने के लिए बेन के साथ कंपनी की बातचीत नवंबर के पहले हफ्ते में शुरू हुई थी। बेन कैपिटल मणप्पुरम फाइनेंस में कंट्रोलिंग स्टेक खरीदने के लिए बातचीत कर रही थी। सूत्रों के मुताबिक, बेन कैपिटल कंपनी का सिर्फ गोल्ड लोन पोर्टफोलियो खरीदने में दिलचस्पी दिखा रही थी।
हालांकि, प्रमोटर्स का जोर था कि अगर डील को अंजाम तक पहुंचाना है, तो यह मणप्पुरम फाइनेंस और उसकी सब्सिडियरी का पूर्ण अधिग्रहण होगा। मामले से वाकिफ एक बैंकर ने बताया, ‘बेन को यह बात ठीक नहीं लगी, क्योंकि कंपनी के गोल्ड लोन के अलावा बाकी बिजनेस में ज्यादा बेहतर स्थिति नहीं है। ये बिजनेस अभी छोटे और बिल्कुल नए हैं।’ साथ ही, आशीर्वाद फाइनेंस के जरिये चलाए जाने वाले माइक्रो फाइनेंस बिजनेस पर रिजर्व बैंक ने 17 अक्टूबर को नया बिजनेस करने पर रोक लगा दी थी।
आखिरकार डील स्ट्रक्चर को लेकर सहमति नहीं बन पाने की वजह से दोनों पक्षों के बीच बातचीत अटक गई। एक बिजनेस अखबार ने 13 नवंबर को खबर दी थी कि बेन कैपिटल मणप्पुरम फाइनेंस में कंट्रोलिंग स्टेक खरीदने के लिए कंपनी से बातचीत कर रही है। इस सिलसिले में मणप्पुरम फाइनेंस को भेजी गई ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला। बेन कैपिटल ने भी इस मामले पर कुछ भी टिप्पणी करने से मना कर दिया।