Business

Paytm के प्रेसिडेंट और सीओओ Bhavesh Gupta ने आखिर क्यों इस्तीफा दिया?

इस साल मार्च की शुरुआत में टोक्यो में फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी पर एक कॉन्फ्रेंस हुई थी। इसमें पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कहा था कि एक बड़ी बात जो मैंनी सीखी है वह यह है कि कई बार आपकी टीम के सदस्य और सलाहकार सही नहीं हो सकते हैं। उनका यह बयान आरबीआई के पेटीएम के खिलाफ एक्शन के करीब पांच हफ्ते बाद आया था। आरबीआई ने 15 मार्च से पेटीएम पेमेंट्स बैंक (पीपीबीएल) की सेवाएं बंद करने का आदेश दिया था। कुछ सूत्रों से मनीकंट्रोल की बातचीत से यह संकेत मिला था कि शर्मा का इशारा कंपनी के प्रेसिडेंट और सीओओ भवेश गुप्ता की तरफ था। उन्हें शर्मा का बहुत करीब माना जाता था। अक्सर पेटीएम के लोन बिजनेस की ग्रोथ का श्रेय उन्हें दिया जाता था।

पेटीएम (Paytm) ने स्टॉक एक्सचेंजों को दी गई जानकारी में कहा है कि गुप्ता (Bhavesh Gupta) ने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा 4 मई को आया। उन्होंने कहा कि वह इस महीने के अंत तक अपने पद पर बने रहेंगे। इस्तीफे के बाद 6 मई को स्टॉक मार्केट खुलने पर Paytm के स्टॉक्स 5 फीसदी गिर गए। इससे इसमें लोअर सर्किट लग गया। RBI के एक्शन के बाद पेटीएम ने दो हफ्तों के लिए अपने लेंडिंग प्रोग्राम पर रोक लगा दी थी। क्राइसिस के तीन महीने बाद भी करीब आधे पार्टनर्स ने पेटीएम प्लेटफॉर्म पर कर्ज देना शुरू नहीं किया है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने यह बताया।

पेटीएम से जुड़े एक दूसरे सूत्र ने कहा, “शर्मा का मानना है कि यह गुप्ता की तरफ से उठाए गए कई गलत कदमों का अंजाम है। इसकी शुरुआत पिछले वित्त वर्ष के मध्य में हुई थी।” इस बारे में पूछने पर पेटीएम के एक प्रवक्ता ने ईमेल में बताया, “आपकी जानकारी पूरी तरह से बेबुनियाद है। हम हर चुनौती के बाद ज्यादा मजबूत होकर सामने आने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हमारी मेहनती और समर्पित टीम हमसे करीब आधा दशक से जुड़ी हुई है। हम जिम्मेदार पत्रकारिता की सलाह देते हैं, क्योंकि अटकलों पर आधारित खबरों से तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता की साख पर असर पड़ता है।”

आरबीआई के एक्शन के बाद इनवेस्टर्स के साथ बातचीत में पेटीएम ने कहा था कि रेगुलेटरी एक्शन का कंपनी के सालाना EBITDA र 300-500 करोड़ रुपये का असर पड़ सकता है। लेकिन, कई दूसरे सूत्रों ने बताया था कि असर इससे ज्यादा होगा। यह सालाना 750-1,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकता है।

पिछले वित्त वर्ष के मध्य से ही प्रॉब्लम शुरू हो गई थी। आरबीआई के कई बयानों के बाद पेटीएम ने उस तिमाही पर्सनल लोन की रफ्तार घटा दी थी। लेकिन, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों और एनालिस्ट्स के कंज्यूमर्स के काफी ज्यादा कर्ज में होने की रिपोर्ट्स के बाद यह साफ हो गया कि आरबीआई 50,000 रुपये से कम के लोन को लेकर ज्यादा चिंतित था। पिछले साल नवंबर के अंत में पेटीएम के एक प्रमुख पार्टनर आदित्य बिडला फाइनेंस ने पेटीएम के पोस्ट-पेड ग्राहकों को लोन देना बंद कर दिया। एक सीनियर एग्जिक्यूटिव ने बताया कि इसकी वजह बढ़ता एनपीए था। इससे आदित्य बिड़ला सहित पेटीएम के दूसरे पार्टनर्स भी चिंतित थे।

मैक्वायरी ने नवंबर में अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पेटीएम के प्लेटफॉर्म के जरिए दिए गए लोन से जुड़ा एनपीए सिंगल डिजिट के पार निकल गया है। लेकिन, इनवेस्टर्स से बातचीत में पेटीएम यह कहती रही कि उसकी एसेट क्वालिटी अच्छी है। इस बारे में जानकारी देने वाले एक दूसरे सूत्र ने बताया कि पेटीएम के एग्जिक्यूटिव्स ने एनबीएफसी के साथ जो पार्टनरशिप की थी, उसके बारे में शर्मा को पूरी जानकारी नहीं थी।

पेटीएम ने पार्टनर्स के साथ फर्स्ट लॉस डिफॉल्ट एग्रीमेंट्स (FLDG) नहीं किया था। कंपनी का कमीशन इस बात पर निर्भर था कि वह ग्राहकों से कर्ज का कितना पैसा वापस हासिल करती है। सूत्र ने बताया, ‘शर्मा को ये डील्स बहुत जटिल लगीं। उन्हें यह भी लगा कि ये पेटीएम के हित में नहीं हैं। खासकर तब जब एनपीए बहुत बढ़ गया। लेकिन, गुप्ता को इस बात का भरोसा था कि चूंकि क्रेडिट स्कोर अच्छा है, जिससे कंपनी को दिक्कत नहीं होगी।’

पेटीएम को उसके प्लेटफॉर्म के जरिए होने वाले लोन पर करीब 3.5 फीसदी कमीशन मिलता था। पेटीएम ने हर पार्टनर के साथ अलग-अलग समझौता कर रखा था। FY24 की दूसरी तिमाही पेटीएम के लिए पीक पीरियड था। एक तिमाही में उसका लोन डिस्बर्समेंट बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। कई मिड-साइज प्राइवेट बैंकों का लोन डिस्बर्समेंट इससे काफी कम है। उदाहरण के लिए इंडसइंड बैंक का एक तिमाही का डिस्बर्समेंट करीब 5,000 करोड़ रुपये है। फेडरल बैंक का पूरे साल का 8,000 करोड़ रुपये है।

पीपीबीएस पेटीएम की सहयोगी कंपनी (बैंक) है। लेकिन, एनबीएफसी से पार्टनरशिप पेटीएम ने की थी। कुछ कस्टमर्स और मर्चेंट्स लोन रीपेमेंट के लिए पीपीबीएल के सेविंग्स अकाउंट्स का इस्तेमाल कर रहे थे। चूंकि पेटीएम ऐप की यूपीआई सर्विसेज पीपीबीएल के जरिए चलती थीं, जिससे बैंकिंग सेवाओं पर रोक की वजह से पेटीएम को थर्ड पार्टी ऐप बनने के लिए बैंकों से पार्टनरशिप करना पड़ा।

पिछली दो तिमाहियों में चीजें और खराब हुईं। इससे शर्मा को बड़ा झटका लगा। एक सूत्र ने बताया कि शर्मा का मानना है कि उन्हें पेमेंट बैंक से जुड़ी स्थिति के बारे में सही जानकारी नहीं दी गई। उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि पेटीएम के बिजनेस पर इसका क्या असर पड़ेगा। एक दूसरे सूत्र ने कहा कि पेटीएम के सीनियर एक्जिक्यूटिव्स RBI के एक्शन का पीपीबीएल पर पड़ने वाले असर का सहीं अंदाजा लगाने में नाकाम रहे।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top