Your Money

NRI और अमीर भारतीयों की बढ़ रही गोल्डन वीजा प्रोग्राम में दिलचस्पी, जानिए इनवेस्टमेंट करने से किन-किन देशों की रेजिडेंसी मिल सकती है

इंडिया में अमीर लोगों की दिलचस्पी विदेश में रियल एस्टेट में इनवेस्ट करने में बढ़ रही है। बड़ी संख्या में इंडिया के अमीर लोगों ने लंदन में प्रॉपर्टी में निवेश किया है। हाल में यूनाइटेड किंग्डम ने अपने गोल्डन वीजा प्रोग्राम को खत्म कर दिया है। विदेश में प्रॉपर्टी में इंडियन लोगों के निवेश करने की कई वजहें हैं। इनमें ग्लोबल एक्सेस, एसेट डायवर्सिफिकेशन, बेहतर लाइफ स्टाइल का ऑप्शन और आने वाली पीढ़ियों के लिए स्ट्रेटेजिक प्लानिंग शामिल है।

क्या है गोल्डन वीजा प्रोग्राम?

कई अमीर भारतीय दूसरे देश की नागरिकता हासिल करने के लिए भी वहां रियल एस्टेट में निवेश करते हैं। ‘गोल्डन वीजा’ जैसे प्रोग्राम अमीर भारतीयों को दूसरे देश की नागरिकता हासिल करने का मौका उपलब्ध कराते हैं। कई देशों के प्रोग्राम इनवेस्टमेंट के जरिए सेकेंड रेजिडेंसी हासिल करने की इजाजत देते हैं। रेजिडेंसी एंड सिटीजनशिप की कंसल्टेंट और एडवाइजर शालिनी लामा के मुताबिक, इंडियन लोगों की सबसे ज्यादा दिलचस्पी ग्रीस, तुर्की, कैरिबियन देशों, माल्टा और स्पेन में रियल एस्टेट में निवेश करने में रही है।

गोल्डन वीजा प्रोग्राम के फायदे

 

उन्होंने कहा कि इन देशों के रेजिडेंसी और सिटीजनशिप प्रोग्राम कई तरह के बेनेफिट्स ऑफर करते हैं। इनमें ईज ऑफ एक्सेस, वीजा-फ्री ट्रैवेल और लॉन्ग टर्म रेजीडेंसी एंड सिटीजनशिप शामिल हैं। भारतीय लोगों को ऐसे देशों की सिटीजनशिप मिल जाती है, जहां पॉलिटिकिल और इकोनॉमिक स्टैबिलिटी है, निवेश के मौके हैं, अंग्रेजी बोलने वाली आबादी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडियन लोगों के लिए यूरोप में माल्टा रेजिडेंसी के लिए पहली पसंद के रूप में उभर रहा है। इंडियन गोल्डन वीजा प्रोग्राम के जरिए वहां रियल एस्टेट में निवेश कर रहे हैं।

माल्टा के गोल्डन वीजा प्रोग्राम में बढ़ी दिलचस्पी

RIF Trust के रीजनल डायरेक्टर -इंडिया बीनू वर्गीज ने कहा कि गोल्डन वीजा प्रोग्राम में रियल एस्टेट में निवेश करने वाले लोगों को अपना बिजनेस शुरू करने का भी मौका मिलता है। इसमें यूरोप के दूसरे प्रोग्राम के अलग पर्मानेंट रेजिडेंसी मिलती है। माल्टा का यह पर्मानेंट रेजीडेंसी प्रोग्राम लोगों को सिटीजनशिप हासिल करने में काफी हेल्पफुल है। इसके अलावा लोगों को किसी तरह के लैंग्वेज बैरियर का भी सामना नहीं करना पड़ता है।

कोविड की दूसरी लहर के बाद ज्यादा दिलचस्पी

दुनियाभर में 2011-12 के दौरान इनवेस्टमेंट के जरिए रेजिडेंसी हासिल करने का चलन शुरू हुआ था। यह 2008-09 के फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद की बात है। लेकिन, अमीर भारतीयों, NRI और ग्लोबल इंडियंस के बीच विदेश में इनवेस्टमेंट के जरिए रेजिडेंसी हासिल करने की ज्यादा मांग कोविड के डेल्टा वेव के बाद बढ़ी है। कई भारतीय प्लान बी के तहत एक सेकेंड होम का ऑप्शन चाहते हैं। इसके लिए वे गोल्डन वीजा प्रोग्राम के तहत इनवेस्ट कर रहे हैं।

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
NIFTY 50 
₹ 23,968.80  1.26%  
NIFTY BANK 
₹ 51,885.10  0.80%  
S&P BSE SENSEX 
₹ 79,263.06  1.21%  
RELIANCE INDUSTRIES LTD 
₹ 1,279.70  1.04%  
HDFC BANK LTD 
₹ 1,801.00  0.62%  
CIPLA LTD 
₹ 1,478.40  0.86%  
TATA MOTORS LIMITED 
₹ 785.85  0.24%  
STATE BANK OF INDIA 
₹ 836.50  0.29%  
BAJAJ FINANCE LIMITED 
₹ 6,600.40  1.56%  
BHARTI AIRTEL LIMITED 
₹ 1,562.15  0.98%  
WIPRO LTD 
₹ 572.40  1.80%  
ICICI BANK LTD. 
₹ 1,282.90  1.37%  
TATA STEEL LIMITED 
₹ 144.00  0.37%  
HINDALCO INDUSTRIES LTD 
₹ 653.85  1.10%