उद्योगपति अनिल अग्रवाल ( Anil Agarwal) की अगुआई वाली कंपनी वेदांता रिसोर्सेज (Vedanta Resources) को अपने डॉलर बॉन्ड्स की बिक्री की योजना को रोकना पड़ा है। ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में बताया कि वेदांता ने डॉलर-डिनॉमिनेटेड बॉन्ड्स की बिक्री की योजना बनाई थी। लेकिन अदाणी ग्रुप के फाउंडर गौतम अदाणी पर लगे एक आरोपों के बाद बाजार में जो हलचल मची है, उसने वेदांता को इसके लॉन्चिंग के समय पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वेदांता ने बुधवार 20 नवंबर को अपने फिक्स्ड-इनकम निवेशकों के साथ बैठक की थी, जहां इस संभावित डील पर चर्चा हुई। हालांकि, अब कंपनी इस संभावित बॉन्ड बिक्री को अगले हफ्ते लॉन्च करने पर विचार कर रही है, बशर्ते कि यील्ड्स स्थिर हो जाएं।
गौतम अदाणी पर अमेरिकी प्रॉजिक्यूटर्स ने 250 मिलियन डॉलर (करीब 2100 करोड़ रुपये) की कथित रिश्वतखोरी में शामिल होने का आरोप लगाया है। इसके बाद अदानी ग्रुप ने अपनी डॉलर बॉन्ड्स की बिक्री को कैंसल कर दिया। साथ ही उसके शेयरों और बॉन्ड्स में इन आरोपों के बाद भारी गिरावट आई। यही नहीं, भारतीय शेयर बाजार भी इस घटना से प्रभावित हुए।
इस बाजार अस्थिरता का असर वेदांता जैसे दूसरे बॉरोअर्स पर भी पड़ा। वैसे बाजार में इस तरह के उतार-चढ़ाव के दौरान कंपनियां अक्सर अपने बॉन्ड ऑफरिंग्स को रोक देती हैं और यह एक सामान्य प्रक्रिया है।
वेदांता को इससे पहले भी कई बार अपने बॉन्ड्स में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा है। साल 2022 के दौरान मेटल्स की कीमतों में गिरावट, घरेलू ऑयल टैक्स और कर्ज चुकाने की चिंता ने उसके बॉन्ड्स को काफी नुकसान पहुंचाया था। लेकिन कमोडिटी की रिकवरी और चीन के मुकाबले भारतीय एसेट्स की बढ़ती डिमांड से उसमें वापस मजबूती आई है।
वेदांता के अप्रैल 2026 में मैच्योर होने वाले नोट्स फिलहाल 100 सेंट पर हैं, जबकि 2022 में ये 50 सेंट से भी नीचे थे। कंपनी अपने बॉन्ड बिक्री के 2028 में मैच्योर होने वाले बॉन्ड्स को रिफाइनेंस करने की योजना बना रही है।