इंडियन मार्केट्स के लिए मुश्किल वक्त खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। बाजार में पहले से गिरावट जारी थी। गौतम अदाणी पर घूसखोरी के एक मामले में शामिल होने के आरोपों ने 21 नवंबर को बाजार पर बिकवाली दबाव बढ़ा दिया। इंडियन मार्केट्स पिछले पांच महीनों में गिरावट के सबसे लंबे दौर से गुजर रहा है। बाजार के प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी सितंबर के अपने ऑल-टाइम हाई से 10 फीसदी से ज्यादा लुढ़क चुके हैं। शुरुआत में मार्केट में गिरावट की बड़ी वजह सितंबर तिमाही में कंपनियों की खराब अर्निंग्स ग्रोथ बताई गई थी। लेकिन, अब बाजार पर कई निगेटिव घरेलू और विदेशी खबरें हावी दिख रही हैं।
यूक्रेन के रूस पर ताजा मिसाइल हमलों के बाद तनाव फिर से बढ़ गया है। माना जा रहा है कि रूस इसके जवाब में यूक्रेन पर बड़ा हमला कर सकता है। उधर, अमेरिका में एक बार फिर डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। इससे अगले साल अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के आसार है। इससे ट्रेड को लेकर टेंशन बढ़ सकता है। इधर, इंडिया में 2020 के बाद कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ सबसे खराब रही है। इनफ्लेशन आरबीआई के टारगेट से ऊपर निकल गया है। विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं। डॉलर एक साल की ऊंचाई पर पहुंच गया है।
घरेलू और विदेशी खबरों ने बेयर्स को बाजार पर अपनी पकड़ बढ़ाने का मौका दे दिया है। फिलहाल, बुल्स पस्त दिख रहे हैं। बाजार में ऐसी स्थिति कब तक रहेगी, यह बताना मुश्किल है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत है। खासकर रिटेल इनवेस्टर्स बाजार से दूरी बना सकते हैं। गिरावट के मौके का इस्तेमाल खरीदारी के लिए किया जा सकता है। लेकिन, बाजार नीचे कहां तक जाएगा, यह बताना मुश्किल है।
एमएंडएम के शेयरों में 19 नवंबर को 3.5 फीसदी तेजी आई थी। इसकी वजह सीएलएसए की रिपोर्ट है। विदेशी ब्रोकरेज फर्म ने M&M के शेयरों के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई है। उसने शेयरों के लिए 3,440 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है। बुल्स का कहना है कि कंपनी मिड और प्रीमियम एसयूवी पर फोकस बढ़ा रही है। इससे हायर मार्जिन वाले सेगमेंट में पैठ बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, एसयूवी मार्केट में प्रतिस्पर्धा काफी ज्यादा है। बेयर्स का कहना है कि नए मॉडल्स लॉन्च करने में देरी का असर कंपनी की संभावनाओं पर पड़ सकता है।
डेल्हीवरी के शेयर 19 नवंबर को 5 फीसदी के उछाल के साथ 343 रुपये पर बंद हुए। कंपनी ने दूसरी तिमाही में मुनाफा कमाया है। इसका असर कंपनी के शेयरों पर दिखा। बुल्स का कहना है कि Delhivery रैपिड कॉमर्स में विस्तार कर रही है। बेंगलुरु में इसने ब्यूटी और पर्सनल केयर ब्रांड्स के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। कंपनी नेक्स्ड डे डिलीवरी पर फोकस बढ़ा रही है। इसका मकसद ग्राहकों को बेहतर सर्विस देना है। कंपनी एयर एक्सप्रेस सेगमेंट में भी दाखिल हो रही है। बेयर्स का कहना है दूसरी तिमाही में कंपनी के EBITDA मार्जिन में गिरावट आई है। यह तिमाही दर तिमाही आधार पर 4.5 फीसदी से घटकर 2.6 फीसदी पर आ गया।
वारी एनर्जीज के शेयरों में 19 नवंबर को 7.4 फीसदी गिरावट आई। इसकी वजह कंपनी के दूसरी तिमाही के खराब नतीजे हैं। बुल्स का कहना है कि कंपनी की ग्रोथ अच्छी है। Waaree Energies घरेलू और विदेशी बाजार में कारोबार के विस्तार पर फोकस कर रही है। इसने अपनी लिस्टेड सब्सिडियरी Waaree Renewable Technology के जरिए सोलर ईपीसी प्रोजेक्ट्स हासिल किया है। दूसरी तिमाही में कंपनी के रेवेन्यू पर एक्सपोर्ट्स की कम हिस्सेदारी का असर पड़ा। पहली तिमाही में रेवेन्यू में एक्सपोर्ट्स की हिस्सेदारी 60 फीसदी थी, जो दूसरी तिमाही में घटकर 27 फीसदी रह गई।