इंडिया में आम तौर पर लोग 60-65 साल की उम्र में रिटायर करते हैं। इससे रिटायरमेंट बाद के खर्च के लिए सेविंग्स और निवेश करने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। लेकिन, पिछले कुछ समय से एक नया ट्रेंड बढ़ रहा है, जिसे फायर कहा जाता है। फायर का मतलब फाइनेंस इंडिपेंडेंस, रिटायर अर्ली है। इसमें व्यक्ति रिटायरमेंट के लिए 60 साल की उम्र का इंतजार नहीं करता है। वह तय समय से काफी पहले रिटायरमेंट ले लेता है। हालांकि, यह थोड़ा मुश्किल लगात है। लेकिन, सही प्लानिंग से जल्द रिटायरमेंट मुमकिन है।
फायर स्ट्रेटेजी का मतलब
FIRE का बुनियादी सिद्धांत ज्यादा सेविंग्स और ज्यादा इनवेस्टमेंट पर आधारित है। इसमें आम तौर पर व्यक्ति को अपनी इनकम का 50-70 फीसदी सेविंग्स और इनवेस्टमेंट के लिए इस्तेमाल करना पड़ता है। मार्केट में जब उतारचढ़ाव हो तो बड़े अमाउंट को निवेश करने में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा मार्केट में उतारचढ़ाव का असर आपके इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो पर भी पड़ता है। इसे हम एक उदाहरण की मदद से समझ सकते हैं। विशाल एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, जिन्होंने FIRE को अपना टारगेट बनाया है।
विशाल की उम्र 40 साल है। वह पिछले एक दशक में 50 लाख रुपये इनवेस्ट कर चुके हैं। उनका मकसद 50 साल की उम्र में रिटायर करना है। तब तक उन्होंने एक करोड़ रुपये का पोर्टफोलियो तैयार करने का टारगेट रखा है। लेकिन, मार्केट में अचानक गिरावट आने की वजह से उनके पोर्टफोलियो की वैल्यू घटकर 35 लाख रुपये रह गई है। इसका असर 1 करोड़ रुपये के पोर्टफोलियो के उनके टारगेट पर पड़ सकता है। इसलिए फायर में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
1. पोर्टफोलियो के डायवर्सिफिकेशन पर फोकस करें
आपका इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो डायवर्सिफायड होना चाहिए। इससे मार्केट के उतारचढ़ाव का असर आपके पोर्टफोलियो पर कम पड़ेगा। आपके पोर्टफोलियो में शेयरों के अलावा डेट इंस्ट्रूमेंट्स भी शामिल होने चाहिए। आप इसके लिए सरकारी बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं। डेट मार्केट और शेयर मार्केट के बीच विपरीत संबंध है। ऐसे में अगर शेयर मार्केट में गिरावट आती है तो बॉन्ड्स में आपक निवेश आपके पोर्टफोलियो को सुरक्षा प्रदान करेगा।
2. लंबी अवधि के टारगेट के लिए करें निवेश
अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं तो आपको निवेश पर मार्केट के उतारचढ़ाव का कम या नहीं के बराबर असर पड़ेगा। कई लोग मार्केट में गिरावट आने पर डर जाते हैं। फिर वे अपने निवेश के पैसे निकालने लगते हैं। इससे लंबी अवधि में बड़ा फंड तैयार करने का उनका टारगेट हासिल नहीं होता।
3. इमर्जेंसी के लिए अलग फंड बनाएं
इमर्जेंसी के लिए अलग फंड होना जरूरी है। इससे अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर आपके सेविंग्स और इनवेस्टमेंट प्लान पर असर नहीं पड़ता है। अगर अब तक आपने इमर्जेंसी फंड नहीं बनाया है तो आप 3 से 6 महीने तक के खर्च के लिए एक इमर्जेंसी फंड तैयार कर लें। इसके बाद आपको इस फंड को बढ़ाकर 6-12 महीने तक के खर्च के लिए करना होगा। इससे अचानक किसी इमर्जेंसी के आने पर भी आपकी सेविंग्स और इनवेस्टमेंट पर किसी तरह का असर नहीं पड़ेगा।