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IPO से अमीर निवेशकों का हो रहा मोह भंग, शेयर मार्केट में गिरावट या कुछ और? जानें आखिर क्यों बनाई दूरी

शेयर बाजार में भारी गिरावट की वजह से अमीर निवेशक प्राइमरी मार्केट से दूर हो गए हैं। पिछले 10 IPO में से आठ में हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNI) की भागीदारी बहुत कम रही। इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक Swiggy, Hyundai India, Niva Bupa Health और Godavari जैसे IPO में HNI के सब्सक्रिप्शन में कमी देखी गई। इसके अलावा चार और IPO में भी मुश्किल से कम ही हिस्सेदारी रही। ये पहले के हालात से बिल्कुल अलग हैं। यह इससे पहले के 10 IPO में HNI की औसत 116 गुना सब्सक्रिप्शन के विपरीत है।

क्या है स्थिति?

Niva Bupa के IPO में HNIs के लिए रखे गए शेयर्स का सिर्फ 71% ही सब्सक्राइब हुआ, हालांकि कुल मिलाकर सब्सक्रिप्शन 1.9 गुना था। Swiggy के 11,327 करोड़ रुपये के IPO में HNI का 41% ही सब्सक्राइब हुआ। 2,900 करोड़ रुपये के ACME Solar के ऑफर में HNIs ने अपने लिए रखे गए पूरे कोटा (1.02 गुना) के लिए बिड किया। भारत के सबसे बड़े पब्लिक इश्यू Hyundai India के 27,870 करोड़ रुपये के IPO में HNI पोर्शन का 60% ही सब्सक्राइब हुआ, जबकि Sagility India में ये महज 1.93 गुना था।

पहले क्या थी स्थिति?

पहले क्या थी स्थिति?

इससे पहले सितंबर में लॉन्च हुए 13 IPO में HNIs का औसत सब्सक्रिप्शन 180 गुना था, जबकि अगस्त में लॉन्च हुए 10 IPOs में ये 128 गुना था। इसमें Manba Finance सबसे आगे रहा, जिसका HNI सब्सक्रिप्शन 512 गुना था। इसके बाद KRN और Gala Precision रहे, जिनमें सब्सक्रिप्शन 400 गुना से ज्यादा था। Bajaj हाउसिंग फाइनेंस के 6,560 करोड़ रुपये के IPO में भी HNI की दिलचस्पी काफी ज्यादा थी।

क्या है वजह?

क्या है वजह?

बैंकर्स का कहना है कि शेयर बाजार का ठंडा होना, ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) का गिरना और फंडिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी ने IPOs में HNIs की दिलचस्पी को काफी कम कर दिया है। नुवामा असेट मैनेजमेंट के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर, निखिल का कहना है कि अगर आप सेबी की IPOs पर स्टडी देखेंगे, तो साफ पता चलेगा कि ज्यादातर HNIs जो IPO सब्सक्राइब करते हैं, लिस्टिंग पर वो शेयर बेच देते हैं। दरअसल, किसी IPO में सब्सक्रिप्शन लेवल, ग्रे मार्केट प्रीमियम पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे बाजार ठंडा हुआ और ग्रे मार्केट प्रीमियम गिरने लगा, IPOs में दिलचस्पी बहुत कम हो गई।

डिमांड में कमी क्यों?

डिमांड में कमी क्यों?

HSBC इंडिया में इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के को-हेड रणवीर दावडा ने कहा कि घरेलू और विदेशी चिंताओं की वजह से भारतीय शेयर बाजार में ओवरऑल करेक्शन हुआ है। इसकी वजह से हालिया IPOs में गैर संस्थागत डिमांड कमजोर हो गया है।

FPI तगड़ा निवेश कर रहे हैं

FPI तगड़ा निवेश कर रहे हैं

विदेशी निवेशक अक्टूबर से भारतीय शेयरों से रेकॉर्ड फंड निकाल रहे हैं। लेकिन बेहतर रिटर्न की तलाश में आईपीओ में निवेश कर रहे हैं। सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार आईपीओ और प्रेफेरेंशियल शेयर सेलिंग सहित उनकी प्राइमरी मार्केट खरीद इस साल 11.5 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई, जो 2021 में बनाए गए पिछले रेकॉर्ड को पार कर गई।

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