IPO

SME IPO: SEBI ने रखा सख्त नियमों का प्रस्ताव, एप्लिकेशन साइज बढ़ाने की तैयारी, OFS पर लग सकता है बैन

SME IPO: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है जिसमें SME IPO के लिए सख्त नियम सुझाए गए हैं। सेबी द्वारा प्रस्तावित इन नियमों से खुदरा निवेशकों की भागीदारी सीमित हो सकती है। इसके तहत SME IPO के लिए मिनिमम एप्लिकेशन साइज 1 लाख रुपये से दोगुना होकर 2 लाख या 4 लाख रुपये हो सकता है। इससे छोटे निवेशकों के लिए इसमें भाग लेना मुश्किल हो जाएगा। इसके साथ ही, नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स के लिए एलोकेशन के तरीके में बदलाव का सुझाव दिया गया है, जिसमें NII कैटेगरी के लिए आनुपातिक आवंटन को बंद किया जा सकता है और रिटेल कैटेगरी के लिए लागू “ड्रा ऑफ लॉट” अलॉटमेंट शुरू किया जा सकता है।

SME IPO में OFS पर लग सकता है बैन

सेबी के प्रस्ताव के मुताबिक SME IPO में OFS पर या तो पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया जा सकता है या इसे कुल इश्यू साइज के 20%-25% पर सीमित किया जा सकता है। मौजूदा नियमों के तहत SME इश्यू को सफल माना जाने के लिए यह जरूरी है कि पब्लिक इश्यू में कम से कम 50 आवंटी हों। सेबी ने सुझाव दिया है कि पब्लिक इश्यू में मिनिमम आवंटियों की इस जरूरत को बढ़ाकर 200 किया जाए। इसके साथ ही 20-50 करोड़ रुपये के इश्यू साइज के लिए निगरानी एजेंसी की नियुक्ति का सुझाव भी है, जबकि वर्तमान में यह सीमा 100 करोड़ रुपये है।

SME IPO में प्रमोटर का न्यूनतम योगदान 3 साल के लिए लॉक इन होता है। सेबी ने प्रमोटर लॉक-इन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की सिफारिश की है, जिसमें 50% होल्डिंग्स को आईपीओ के बाद 2 साल के लिए और बाकी को 1 साल के लिए लॉक किया जाएगा। इसमें यह भी सुझाव दिया गया है कि ऑफर डॉक्यूमेंट में सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्य को इश्यू साइज के 25% के बजाय 10% तक सीमित किया जाना चाहिए, जिसकी पूर्ण सीमा 10 करोड़ रुपये होनी चाहिए। सेबी के कंसल्टेशन पेपर में रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन प्रोविजन को लिस्टेड SME पर भी लागू करने का प्रस्ताव है, और एंटिटी को हर तिमाही में शेयरहोल्डिंग पैटर्न प्रस्तुत करना जरूरी है।

 3 करोड़ रुपये से अधिक का EBITDA होना जरूरी

सेबी के एक अन्य प्रस्ताव के अनुसार शेयर बाजारों में लिस्ट होने की इच्छा रखने वाले SME को आईपीओ से पहले पिछले तीन वर्षों में से दो वर्षों में 3 करोड़ रुपये से अधिक का EBITDA होना चाहिए। सेबी के कंसल्टेशन पेपर में कहा गया है कि SME IPO की बढ़ती संख्या के साथ निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है। आवेदक और अलॉटेड इनवेस्टर का अनुपात वित्त वर्ष 22 में 4 गुना से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 46 गुना और वित्त वर्ष 24 में 245 गुना हो गया।

मार्केट रेगुलेटर के होलटाइम मेंबर अश्विनी भाटिया ने अक्टूबर में संकेत दिया था कि वह SME IPO के लिए रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को सख्त करने के लिए एक कंसल्टेशन पेपर लेकर आएगा। भाटिया ने कहा था, “SME लिस्टिंग पर एक्सचेंज और सेबी द्वारा कड़ी निगरानी रखी जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे बेवजह कीमतों में हेरफेर या धोखाधड़ी वाले ट्रेड प्रैक्टिसेज में शामिल न हों।”

Source link

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
NIFTY 50 
₹ 23,518.50  0.28%  
NIFTY BANK 
₹ 50,626.50  0.52%  
S&P BSE SENSEX 
₹ 77,578.38  0.31%  
RELIANCE INDUSTRIES LTD 
₹ 1,237.40  1.85%  
HDFC BANK LTD 
₹ 1,736.00  1.81%  
CIPLA LTD 
₹ 1,470.00  0.32%  
TATA MOTORS LIMITED 
₹ 781.95  1.30%  
STATE BANK OF INDIA 
₹ 802.40  1.46%  
BAJAJ FINANCE LIMITED 
₹ 6,580.00  0.18%  
BHARTI AIRTEL LIMITED 
₹ 1,524.30  0.83%  
WIPRO LTD 
₹ 561.00  1.47%  
ICICI BANK LTD. 
₹ 1,244.00  0.75%  
TATA STEEL LIMITED 
₹ 139.58  1.15%  
HINDALCO INDUSTRIES LTD 
₹ 638.00  2.00%