वोडाफोन आइडिया को 25,000 करोड़ रुपये के डेट फंडिंग प्लान में देरी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, एनालिस्ट्स के मुताबिक, कंपनी को सरकार से राहत मिल सकती है और इसके तहत इसकी वैधानिक बकाया राशि के एक बड़े हिस्से को इक्विटी में बदला जा सकता है। बहरहाल, एनालिस्ट्स ने चेतावनी दी है कि इससे टेलीकॉम ऑपरेटर की फाइनेंशियल रिकवरी सुस्त हो सकती है।
कंपनी के मैनेजमेंट ने पिछले हफ्ते डेट फंडिंग को हासिल करने में संभावित देरी को स्वीकार किया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी की AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया था। इससे पहले कंपनी ने उम्मीद जताई थी कि वह नवंबर के आखिर तक बैंक लोन हासिल कर लेगी। वोडाफोन आइडिया का कहना है कि लेंडर्स ने अपने डेट फंडिंग प्लान को लेकर इंतजार करने और नजर बनाए रखने की रणनीति अपना रखी है। कंपनी का क्यूरेटिव AGR याचिका खारिज होने तक लेंडर्स के साथ बातचीत तेजी से आगे बढ़ रही थी, लेकिन याचिका खारिज होने के बाद लेंडर्स ने अपना फैसला रोक दिया।
एनालिसिस मैसन (Analysys Mason) में पार्टनर अश्विंदर सेठी ने मनीकंट्रोल को बताया, ‘ वोडाफोन के लिए 50,000-55,000 का कैपिटल एक्सपेंडिचर टारगेट काफी अहम है, क्योंकि यह कई नेटवर्क पैरामीटर के मामले में रिलायंस जियो और एयरटेल से पीछे है, मसलन साइट्स की संख्या, 4जी साइट्स का प्रतिशत, 5जी लॉन्चिंग।’ उन्होंने कहा, ‘ डेट फंडिंग में देरी से फाइनेंशियल रिकवरी हासिल करने की वोडाफोन की क्षमता पर असर पड़ेगा।’
वोडाफोन मैनेजमेंट ने एक बार फिर दोहराया है कि टेलीकॉम कंपनी और उसके प्रमोटर्स अगले तीन साल तक नेटवर्क एक्सपैंशन प्लान के तहत कैपिटल एक्पेंडिचर के लिए कर्ज की खातिर लेंडर्स से बात कर रहे हैं। कैपिटल एक्सपेंडिचर के जरिये मुख्य तौर पर 4जी कवरेज, क्षमता विस्तार और 5जी सर्विस पर फोकस किया जाएगा। IIFL सिक्योरिटीज के नोट में कहा गया है कि कर्ज को बढ़ाना वोडाफोन के कैपिटल एक्सपेंडिचर प्लान को लागू करने के लिए अहम है।