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इक्विटी म्यूचुअल फंडों ने मार्केट में गिरावट का उठाया फायदा, अक्टूबर में शेयरों में बढ़ाया निवेश

म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों ने अक्टूबर में मार्केट में आई गिरावट का फायदा उठाया है। उन्होंने कम प्राइस पर शेयर खरीदे हैं। इक्विटी फंडों की कैश होल्डिंग्स से इसका पता चला है। अक्टूबर के अंत में उनके पास कुल 1,46,957 करोड़ रुपये का कैश था। सितंबर के अंत में उनके पास 1,47,588 करोड़ रुपये का कैश था। इससे पता चलता है कि उन्होंने अक्टूबर में खरीदारी की है। अक्टूबर में स्टॉक मार्केट में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी। कई कंपनियों के स्टॉक्स अपने ऑल-टाइम हाई से काफी नीचे आ गए थे।

प्राइम डेटाबेस एमएफ के डेटा के मुताबिक, इक्विटी फंडों के पास कुल कैश उनके एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) का 4.91 फीसदी था। यह मई 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। इसकी बड़ी वजह इक्विटी म्यूचुअल फंड की स्कीमों में लगातार अच्छा निवेश है। रिटेल इनवेस्टर्स SIP के जरिए इक्विटी फंडों की स्कीम में निवेश कर रहे हैं। उनके निवेश पर मार्केट में उतारचढ़ाव का असर देखने को नहीं मिला है। अक्टूबर के अंत में इक्विटी म्यूचुअल फंडों का कुल AUM करीब 30 लाख करोड़ रुपये था। यह एयूएम सिर्फ एक्विट म्यूचुअल फंड की इक्विटी स्कीमों का है।

म्यूचुअल फंड की एक्टिव इक्विटी स्कीम में कई कैटेगरी की स्कीमें आती हैं। इनमें मल्टीकैप, लार्जकैप, लार्ज एंड मिडकैप, मिडकैप, स्मॉलकैप, डिविडेंड यील्ड, कॉन्ट्रा, वैल्यू, फोकस्ड, सेक्टोरल/थिमैटिक, ELSS और फ्लेक्सीकैप स्कीम शामिल हैं। अक्टूबर में स्टॉक मार्केट में लगातार गिरावट के बावजूद रिटेल इनवेस्टर्स के निवेश पर असर नहीं पड़ा है। पिछले डेढ़ महीने से विदेशी इनवेस्टर्स इंडियन मार्केट्स में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। लेकिन, घरेलू संस्थागत निवेशकों खासकर म्यूचुअल फंड ने खरीदारी कर मार्केट को ज्यादा गिरने नहीं दिया है।

अक्टूबर में भी रिटेल इनवेस्टर्स ने इक्विटी फंडों में जमकर निवेश किया है। पिछले महीने इक्विटी फंडों में निवेश महीना दर महीना 22 फीसदी बढ़कर 41,887 करोड़ रुपये पहुंच गया। इसमें से 25,000 करोड़ रुपये का निवेश सिर्फ SIP के जरिए आया। पहली बार सिप के जरिए रिटेल इनवलेस्टर्स ने इतना निवेश किया है। इससे पता चलता है कि रिटेल इनवेस्टर्स भी मार्केट में गिरावट के मौके का फायदा उठाना चाहते हैं। वे सिप से निवेश बढ़ा रहे हैं।

फिसडम में रिसर्च हेड नीरव कारकेरा ने कहा कि रिटेल इनवेस्टर्स काफी पूंजी लगा रहे हैं। लेकिन, इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स अपने पास कुछ कैश बचाकर रखना चाहते हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर में फंडों के एसेट एलोकेशन में भी बदलाव देखने को मिला। म्यूचुअल फंडों के निवेश में बैंक, कैपिटल गुड्स, हेल्थकेयर, टेक्नोलॉजी और सीमेंट की हिस्सेदारी बढ़ी है। उधर, ऑयल एंड गैस, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर, एनबीएफसी, यूटिलिटीज, रिटेल, टेलीकॉम और मेटल की हिस्सेदारी थोड़ी घटी है।

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