सेंसेक्स 14 नवंबर की सुबह जितना गिरा था शाम तक उसमें थोड़ी रिकवरी जरूर देखी गई। लेकिन Bull और Bear की खींचतान में बार बार Bear भारी पड़ रहा है। आखिरी ऐसा क्यों है? क्यों Share Market की संभलने की तमाम कोशिशें नाकाफी साबित हो रही हैं। शेयर बाजार क्यों गिर रहा है? इस सवाल के जवाब में एक नहीं बल्कि कई थ्योरी काम कर रहे हैं। लेकिन असल बात ये है कि बाजार में जब भी कोई ठोस कारण नहीं मिलता तो अलग-अलग थ्योरी सामने आती हैं। लेकिन जो असल कारण है उसे लोग अभी अनदेखा कर रहे हैं।
शेयर मार्केट गिरने का असल कारण है Recession का डर। मार्केट में बहुत दिनों के बाद एक शब्द ट्रेंड कर रहा है। और वो शब्द है stagflation का। अगर आसान शब्दों में समझें तो stagflation एक ऐसी सिचुएशन होती है जिसमें इकोनॉमी ठहर जाती है लेकिन महंगाई बढ़ती जारी है। हमारे सहयोगी चैनल CNBC Awaaz के मैनेजिंग एडिटर अनुज सिंघल ने कहा कि अगर महंगाई बढ़े और साथ में सैलरी भी बढ़े तो समझिए सब ठीक है। लेकिन अगर महंगाई बढ़ती जाए और सैलरी एक जगह अटक जाए तो समझिए कुछ तो गड़बड़ जरूर है। और इसी सिचुएशन को stagflation कहते हैं।
Stagflation बनी नई मुसीबत
इस सिचुएशन का असर साफतौर पर शेयर मार्केट और इकोनॉमी पर देखने को मिल रहा है। अब हो ये रहा है कि कंज्यूमर अपनी मुट्ठी बांध रहे हैं। यानि वो पैसे खर्च करने के मूड में बिल्कुल नहीं है। लोग अपने खर्चों को टाल रहे हैं जिससे कंजम्प्शन में कमी आई है। FMCG और ऑटो सेक्टर में भी डिमांड तेजी से घटी है। लोगों ने गाड़ियां खरीदने का प्लान लगभग टाल ही दिया है। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के मुताबिक, पैसेंजर व्हीकल की इनवेंटरी इतनी ज्यादा बढ़ चुकी है जितनी पहले कभी नहीं था।
अगस्त तक 73,000 करोड़ रुपए के पैसेंजर व्हीकल गोदामों में पड़े हुए थे। गाड़ी छोड़िए यहां तक कि साबुन भी कम बिक रहा है जिसकी वजह से FMCG कंपनियों की हालत बहुत खराब हो चुकी है। लोग पेंट तक नहीं खरीद रहे हैं। ब्रिटानिया जैसी कंपनियों के नतीजे देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कंज्यूमर अब बिस्कुट खरीदने से पहले भी सोच रहे हैं। इस फिस्कल ईयर की दूसरी तिमाही में ब्रिटानिया का नेट प्रॉफिट 10% गिर गया है।
दूसरी तरफ सब्जियों और दूसरी जरूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं। इस वजह से महंगाई बढ़ रही है लेकिन कंपनियों की अर्निंग्स नहीं बढ़ रही हैं। ये मार्केट के लिए सबसे बुरी स्थिति है। दूसरी तिमाही के नतीजों से भी पता चलता है कि हम इस समय इसी तरह के दौर से गुजर रहे हैं।
Nifty 200 DMA की मुश्किल क्या है?
अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो Nifty 200 day moving average को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। आगे निफ्टी 23,475-23,600 के रेंच के बीच घूम सकता है। अभी तक हर बार तेजी टिकने में नाकाम रही है। हर बार तेजी में बड़े सेलर्स बिकवाली कर रहे हैं। ये उछाल में बिकवाली का बजार बन गया है। लेकिन 200 day moving average आसानी से नहीं टूट रहा है। बैंक निफ्टी पर रणनीति की बात करते हुए उन्होंने कहा कि बैंक निफ्टी आउटपरफॉर्म करने में कामयाब रहा है। आगे यह 49,800-50,500 के दायरे में रह सकता है।
लेकिन छोटे निवेशकों को धीरज बनाकर रखना होगा। और किसी भी निवेश से पहले आप अपने फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह जरूर लें।