जाने-माने बैंकर और कोटक महिंद्रा बैंक के फाउंडर उदय कोटक ने निवेशकों और नीति निर्माताओं को आगाह किया है। उन्होंने पूछा है कि अगर लिस्टेड भारतीय कंपनियों में मौजूद फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स बड़े पैमाने पर बाहर निकल जाते हैं, तो क्या भारत के पास इस ‘ग्लोबल झटके’ को बर्दाश्त करने की क्षमता है। सीएनबीसी-टीवी18 ग्लोबल लीडरशिप समिट में उन्होंने कहा कि यह विमर्श अक्टूबर में उभरकर सामने आया था, जब फॉरेन इनवेस्टर्स ने एक महीने में 11.2 अरब डॉलर के शेयर बेच दिए, जिसके बाद निफ्टी 50 और बीएसई सेंसेक्स में 6 पर्सेंट की कटौती देखने को मिली।
उदय कोटक ने कहा, ‘अगर अक्टूबर में 10 अरब डॉलर बाहर निकलने पर इस तरह की चर्चा होने लगती है, तो हमें यह सोचना होगा कि 900 अरब डॉलर में 10 पर्सेंट निकलने पर क्या होगा?’ उनका कहना था कि क्या हमारे पास ऐसी कटौती को बर्दाश्त करने की क्षमता है। सितंबर 2024 के NSDL डेटा के मुताबिक, फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPIs) का भारतीय शेयर बाजार में निवेश तकरीबन 930 अरब डॉलर है।
फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स द्वारा अक्टूबर में की गई बिकवाली की वजह से निफ्टी में मार्च 2020 के सबसे बड़ी मासिक गिरावट देखने को मिली। उदय कोटक का कहना था कि बड़ा सवाल यह है कि क्या शेयर बाजार इस तरह के झटके का सामना करने को तैयार है? उनके मुताबिक, भारत को ग्लोबल ट्रेड के लेवल पर ज्यादा प्रतिस्पर्धी होने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि भारतीय बाजार ऐसे झटकों से उबरने में सक्षम है। हमारे पास 90 अरब डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व है। हालांकि, लंबी अवधि में हमें ज्यादा कॉम्पिटिटिव होने की जरूरत है।’