महाविकास अघाडी ने रामटेक विधानसभा क्षेत्र में शिव सेना (ठाकरे गुट) के विशाल बरबेटे को आधिकारिक उम्मीदवार के बना कर मैदान में उतारा है। हालांकि, सबसे आगे होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी के नेता पार्टी के बागी राजेंद्र मुलक के लिए ही प्रचार कर रहे हैं। शिवसेना ठाकरे उम्मीदवार विशाल बरबेटे ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की स्थिति संदिग्ध है और उन्हें पीछे समर्थन मिल रहा है। उन्होंने इसकी शिकायत शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं से की है और मांग की है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी इस ओर ध्यान दें और इस भ्रम को दूर करें।
क्या हैं आरोप?
रामटेक विधानसभा क्षेत्र का पूरा घटनाक्रम बेहद ही चौंकाने वाला है। पूर्वी विदर्भ में कुल 28 विधानसभा क्षेत्र हैं। उनमें से रामटेक विधानसभा ही केवल एक ऐसी सीट है, जो शिवसेना UBT गुट को दी गई थी। उस पर भी कांग्रेस के राजेंद्र मुलक ने बगावत कर दी।
पहले लगा था कि वे अपना नाम वापस ले लेंगे। हालांकि पूरा घटना क्रम हैरान करने वाला है। अब आरोप लग रहे हैं कि स्थानीय कांग्रेस नेताओं ने अपने बागी उम्मीदवार के लिए ही प्रचार शुरू कर दिया है।
कहा जा रहा है कि शरद पवार की NCP तो पूरी ताकत के साथ उद्धव के उम्मीदवार का प्रचार कर रही है, लेकिन कांग्रेस ही जो गठबंधन का धर्म सही से नहीं निभा रही है।
विशाल बरबेटे ने तो यहां तक कह दिया कि महाविकास अघाडी में मिलकर लड़ने की बजाय हमें अलग-अलग ही लड़ लेना चाहिए। हम सामने आ रहे घटनाक्रम को लेकर शिवसेना के वरिष्ठ नेताओं के संपर्क में हैं।
बरबेटे ने विश्वास जताया कि वरिष्ठ नेता जल्द ही कोई समाधान निकाल लेंगे। इस मौके पर उनके साथ शिव सेना प्रदेश संगठक सागर डबरासे, जिला प्रमुख उत्तम कापसे भी मौजूद रहे।
‘सहयोगियों की सीट पर भी कांग्रेस की नजर’
बरबेटे ने कहा कि नागपुर ग्रामीण में कांग्रेस के कोटे में तीन सीटें थीं। अगर उन्हें अपनी बागी से इतना ही लगाव था, तो उन्हें उसे वहां से टिकट देना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया, “कांग्रेस की रणनीति पहले अपने हक की सीटें लेने की है और फिर सहयोगी दलों की सीटों पर नजर रखने की है। कांग्रेस सुविधा की राजनीति कर रही है।”
उन्होंने कहा, “सीटों के बंटवारे के बाद कांग्रेस की ओर से सहयोगियों की सीटों का विश्लेषण किया जा रहा है। कांग्रेस का ये खेल समझ से परे है।” बरबेटे ने सवाल उठाया कि महाविकास अघाडी का घटक दल होने के बावजूद कांग्रेस के ऐसे व्यवहार के कारण वे विरोधी से लड़ें या आपस में ही लड़ना चाहिए?
उन्होंने कांग्रेस के राजेंद्र मुलक नाम लिए बगैर कहा, ऐसा लगता है कि निलंबन महज दिखावा था. हम नाम लेने से नहीं डरते, लेकिन धर्म के कारण संयम से आगे बढ़ रहे हैं।