जेफरीज इंडिया ने हाल ही के कवरेज के तहत लगभग दो-तिहाई कंपनियों के लिए वित्त वर्ष 2025 की आय अनुमानों को कम कर दिया है। ये कंपनियां सितंबर तिमाही के नतीजे घोषित कर चुकी हैं। यह 2020 के बाद से जेफरीज इंडिया का सबसे बड़ा डाउनग्रेड रेशियो है। नोट में कहा गया है कि आय में गिरावट अर्थव्यवस्था में चक्रीय मंदी का नतीजा है। इसके चलते कवरेज के तहत आने वाली 121 कंपनियों में से 63% के लिए वित्त वर्ष 2025 के ईपीएस अनुमानों में कटौती हुई है। ये कंपनियां सितंबर 2024 तिमाही के नतीजे घोषित कर चुकी हैं।
जेफरीज ने अपने नोट में अब निफ्टी 50 कंपनियों की आय में वित्त वर्ष के लिए केवल 10% की वृद्धि का अनुमान लगाया है। व्यापक शेयर बाजार विदेशी निवेशकों के बिकवाली दबाव में रहा है और आय वृद्धि की चिंता अब बहुत ही कम अवधि में भारत के इक्विटी आउटलुक को प्रभावित कर सकती है। ग्लोबल फंड्स ने अक्टूबर में लगभग 11 अरब डॉलर के शेयर बेचे, जिसके चलते पिछले महीने निफ्टी 50 में 6.2% की गिरावट आई। यह मार्च 2020 के बाद से इसका सबसे खराब प्रदर्शन है। हालांकि, इस साल निफ्टी अभी भी 11% ऊपर है।
ट्रंप की जीत एशियाई इक्विटी बाजारों पर डाल सकती है दबाव
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत से भी एशियाई इक्विटी बाजारों पर दबाव पड़ने की आशंका है। साथ ही चीन के बारे में अनिश्चितता भी बढ़ती जा रही है। चीन की टॉप लेजिसलेटिव बॉडी ने शुक्रवार को स्थानीय निकाय सरकारों के लिए डेट सीलिंग बढ़ाने के लिए कुछ उपाय किए, ताकि कुछ आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान किया जा सके। लेकिन किसी भी वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा करने से परहेज किया।
स्टील, एनर्जी और पावर कंपनियों को लेकर सबसे ज्यादा डाउनग्रेड
ऑटोमोटिव और FMCG आय में खपत को लेकर दिखाई दिए ट्रेंड से भी पता चलता है कि शहरी भारत खर्च में कटौती कर सकता है, क्योंकि अफोर्डेबिलिटी चिंता का विषय बन गई है। सीएनबीसी-टीवी18 के विश्लेषण से भी पता चला है कि एनएसई 200 की सितंबर तिमाही के नतीजे जारी करने वाली कंपनियों में से 143 के मामले में 86 के लिए वित्त वर्ष 2025 के ईपीएस अनुमानों को लेकर डाउनग्रेड देखा गया है। स्टील, एनर्जी और पावर कंपनियां इस लिस्ट के टॉप नामों में से हैं। इन्होंने पिछले एक महीने में पूरे साल के ईपीएस अनुमानों में तेज गिरावट देखी है। गोल्डमैन सैक्स ने भी पिछले महीने भारत के प्रति ओवरवेट से न्यूट्रल रुख अपनाया था। धीमी आर्थिक वृद्धि और हाई वैल्यूएशन को मुख्य चिंता बताया गया।
लॉन्ग टर्म को लेकर जेफरीज आशावादी
चूंकि सप्लाई, मजबूत घरेलू मांग से मेल खाने लगी है, इसलिए जेफरीज की अपडेटेड इंडिया स्ट्रैटेजी इक्विटी पर सतर्क रूप से आशावादी दृष्टिकोण रखती है। हाल के महीनों में इक्विटी सप्लाई बढ़कर लगभग 7 अरब डॉलर प्रति माह हो गई है। साल 2024 में अब तक इसका आंकड़ा वर्ष लगभग 60 अरब डॉलर है। हालांकि लंबी अवधि में जेफरीज, भारत पर आशावादी बनी हुई है और 2030 तक इक्विटी मार्केट कैपिटलाइजेशन 10 ट्रिलियन डॉलर होने की उम्मीद है।