कनाडा सरकार ने 2018 में SDS को लॉन्च किया था। इसका मकसद भारत समेत 14 देशों के छात्रों के वीजा एप्लिकेशन को तेजी से प्रोसेस करना था। यह एक सरल स्टडी परमिट प्रोसेसिंग प्रोग्राम था, जिसका फायदा लाखों छात्रों को मिल रहा था। फास्ट-ट्रैक स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम प्रोग्राम के जरिए 20 दिनों के भीतर एप्लिकेशन को प्रोसेस करना होता था। हालांकि, छात्रों को स्टडी परमिट हासिल करने के लिए जरूरी बायोमेट्रिक्स जमा करने पड़ते थे और एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया पूरा करना पड़ता था।
पिछले कुछ सालों में SDS और नॉन-SDS आवेदकों खासतौर पर भारती छात्रों के बीच वीजा एप्लिकेशन की अप्रूवल रेट में बड़ा गैप दिख रहा था। SDS प्रोग्राम से अप्लाई करने पर जल्दी वीजा मिल रहा था, जिस वजह से ज्यादा भारतीय छात्र इसके जरिए स्टडी परमिट हासिल कर रहे थे। कोविड महामारी के समय भारतीय छात्रों के लिए नियमित स्ट्रीम की तुलना में SDS का अप्रूवल रेट बढ़ गया था। 2021 और 2022 में SDS आवेदकों का अप्रूवल नॉन-SDS आवेदकों के अप्रूवल के मुकाबले तीन गुना ज्यादा था।
कनाडा का स्टडी परमिट हासिल करने की सोच रहे भारतीय छात्रों के बीच SDS प्रोग्राम का सबसे ज्यादा प्रचलन था। 2022 में कनाडा में पढ़ने गए 80 पर्सेंट भारतीयों ने इसी प्रोग्राम का इस्तेमाल कर वीजा हासिल किया था।
क्यों खत्म किया गया प्रोग्राम
SDS प्रोग्राम को खत्म करने को लेकर जो वजहें सामने आ रही है, उनमें कनाडा में आवास और संसाधनों की कमी, अंतरराष्ट्रीय आबादी को कंट्रोल करने की कोशिश आदि शामिल हैं। इस साल हुए नीतिगत बदलावों के तहत कनाडा सरकार ने 2025 के लिए 4,37,000 नए स्टडी परमिट की सीमा तय की है। इनमें पोस्ट ग्रैजुएशन प्रोग्राम समेत शिक्षा के कई स्तर शामिल हैं। नए नियमों के तहत प्रोसेस को और ज्यादा सख्त कर दिया गया है।