जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) और नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) दोनों रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स और इनवेस्टमेंट स्कीमें हैं। दोनों के अलग-अलग नियम हैं। दोनों की अलग-अलग खासियते हैं। दोनों में सबसे बड़ा फर्क यह है कि एनपीएस एक मार्केट लिंक्ड स्कीम है। इसका मतलब है कि इस स्कीम में सब्सक्राइबर के कंट्रिब्यूशन का हिस्सा शेयरों में निवेश होता है। इसलिए इस स्कीम का रिटर्न शेयरों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। आइए दोनों स्कीम के बारे में विस्तार से जानते हैं।
2004 में रिटायरमेंट स्कीम में बड़ा बदलाव
केंद्र सरकार ने अपने एंप्लॉयीज की रिटायरमेंट स्कीम में 2004 में बड़ा बदलाव किया था। दरअसल, 1 जनवरी, 2004 से सरकारी एंप्लॉयीज के लिए NPS लागू कर दिया गया था। इसका मतलब है कि 1 जनवरी, 2004 और इसके बाद केंद्र सरकार में नौकरी शुरू करने वाले लोग एनपीएस के तहत आते हैं। 31 दिसंबर, 2003 को या इस तारीख से केंद्र सरकार में नौकरी शुरू करने वाले लोग GPF के तहत आते थे। 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद केंद्र सरकार में नौकरी शुरू करने वाले लोगों के लिए जीपीएफ का विकल्प खत्म हो गया।
रिस्क लेने की क्षमता के हिसाब से निवेश का विकल्प
NPS में इनवेस्टर्स की रिस्क लेने की क्षमता के हिसाब से निवेश का विकल्प उपलब्ध है। जो निवेशक ज्यादा रिस्क ले सकते हैं, वे एक्टिव चॉइस फंड को सेलेक्ट कर सकते हैं। इसमें निवेशक 50 साल की उम्र पूरी होने तक इक्विटी यानी शेयरों में 75 फीसदी एलोकेशन कर सकता है। उसके बाद शेयरों में एलोकेशन घटकर 50 फीसदी हो जाता है। ऑटो चॉइस ऑप्शन में 35 साल की उम्र तक शेयरों में ज्यादा ऐलोकेशन की इजाजत है। उसके बाद यह घटने लगता है।
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क्या एक साथ एनीपीएस और जीपीएफ में निवेश की इजाजत है?
जीपीएफ में एनपीएस की तरह निवेश का विकल्प नहीं था। अगर किसी एंप्लॉयी ने 1 जनवरी, 2004 से पहले सरकारी नौकरी शुरू की है तो वह जीएफएफ के दायरे में आएगा। ऐसे में वह चाहे तो खुद एनपीएस में निवेश कर सकता है। इसके लिए स्कीम में कंट्रिब्यूशन भी उसे खुद करना होगा। सरकार उसके एनपीएस अकाउंट में कंट्रिब्यूट नहीं करेगी। 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद केंद्र सरकार की नौकरी शुरू करने वाला कोई व्यक्ति एनपीएस के साथ जीपीएफ में भी निवेश करना चाहता है तो उसे इसकी अनुमति नहीं होगी। इसका मतलब है कि 1 जनवरी, 2004 से पहले नौकरी शुरू करने वाले लोगों के पास ही एक साथ जीपीएस और एनपीएस में निवेश करने का विकल्प है।