6 नवंबर को भारतीय इक्विटी इंडेक्स बढ़त के साथ बंद हुए हैं। निफ्टी 24,500 के आसपास रहने के साथ मजबूत नोट पर बंद हुआ है। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 901.50 अंक या 1.13 फीसदी बढ़कर 80,378.13 पर और निफ्टी 270.70 अंक या 1.12 फीसदी बढ़कर 24,484 पर बंद हुआ है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के विनोद नायर का कहना है कि अमेरिकी चुनाव के नतीजों के बाद ग्लोबल बाजारों में राहत की लहर देखने को मिली है। अमेरिका में ट्रंप को मिले मजबूत जनादेश के साथ राजनीतिक अनिश्चितता कम हुई है। इससे अमेरिका में कर कटौती और सरकारी खर्च में बढ़त की उम्मीदें बढ़ी हैं। इससे इक्विटी मार्केट को सपोर्ट मिला है। भारत में भी आज चौतरफा तेजी रही है। अमेरिका में आईटी खर्च में उछाल की उम्मीद के चलते आईटी शेयरों में तूफानी तेजी रही है।। आईटी कंपनियों के Q2 नतीजों के मुताबिक अमेरिका में BFSI खर्च में सुधार हुआ है जो भारतीय कंपनियो के लिए अच्छा संकेत है।
टेक्निकल व्यू
रेलिगेयर ब्रोकिंग के अजीत मिश्रा का कहना है कि अच्छे ग्लोबल संकेतों के बीच बाजार ने आज 1 फीसदी से ज्यादा की बढ़त के साथ तेजी की ओर अपनी वापसी को जारी रखा। सपाट शुरुआत के बाद, निफ्टी धीरे-धीरे ऊपर बढ़ा। अमेरिकी बाजारों में तेजी से भारतीय बाजारों को भी बल मिला। दिन बढ़ने के साथ ट्रंप की सत्ता में वापसी की संभावना मजबूत होती गई। साथ ही बाजार भी तेजी पकड़ता रहा । सभी सेक्टरों ने इस रिकवरी में योगदान दिया। निफ्टी ने दो दिनों की रिकवरी के बाद 24,500 के रजिस्टेंस का फिर से सामना किया। अगर निफ्टी ये बाधा पार कर लेता है तो फिर इसमें 24,800 का स्तर संभव है। हालांकि सभी सेक्टर तेजी में हैं। लेकिन उम्मीद है कि बैंकिंग और आईटी आगे चलकर बाजार के मेन ग्रोथ ड्राइवर साबित होंगे। ट्रेडर्स को इस बात को ध्यान में रखते हुए अपनी पोजीशन बनानी चाहिए। लॉन्ग ट्रेड के लिए इंडेक्स दिग्गजों और बड़े मिडकैप काउंटरों पर फोकस करना चाहिए।
फंडामेंटल व्यू
अब बाजार का फोकस यूएस फेड मीटिंग के नतीजों और ट्रम्प की संरक्षणवादी नीतियों के यूएस और ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ने वाले प्रभाव पर रहेगा। ट्रंप की जीत पर बाजारों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। सूचकांकों में बढ़त हुई है और यूएसडी मजबूत हुआ है। इसका मुख्य कारण ट्रम्प का पिछला कार्यकाल है जिसमें मैन्युफैक्चरिंग,एनर्जी और डिफेंस जैसे सेक्टरों को लाभ पहुंचाने वाली कर कटौती की गई थी और तमाम बाधा पैदा करने वाले नियमों में ढील दी गई थी।
हालांकि,ट्रंप अपने संरक्षणवादी रुख के चलते आयात पर भारी शुल्क लगा सकते हैं। इसका खासकर उभरते बाजारों पर जो अमेरिका के साथ व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर हैं, व्यापक प्रभाव पड़ सकता है । वीटी मार्केट्स के ग्लोबल स्ट्रैटेजी ऑपरेशंस लीड रॉस मैक्सवेल के अनुसार,भारत को मजबूत अमेरिकी डॉलर से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है,जिससे देश से विदेशी पूंजी निकल सकती है और महंगाई का दबाव बढ़ सकता है।
इसके अलावा, ट्रंप की सख्त आव्रजन नीतियों का भारत के टेक्नोलॉजी सेक्टर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है,जो कुशल श्रमिकों की मुक्त आवाजाही पर निर्भर करता है। मैक्सवेल ने आगे कहा, ” ट्रंप के पहले कार्यकाल ने भारत के साथ अच्छे संबंधों को बढ़ावा दिया था। इस कार्यकाल में चीन को सुरक्षा के लिए खतरा मानने के उनके विचार से एशिया में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के प्रयास हो सकते हैं,जिससे भारत को फायदा हो सकता है।”
उन्होंने आगे कहा कि डिफेंस,टेक्नोलॉजी,फार्मास्यूटिकल्स तथा आईटी जैसे सेक्टरों में भारत के लिए निर्यात के अवसर पैदा हो सकते हैं। संक्षेप में कहें तो भारत के लिए ट्रम्प की नीतियां जोखिम और अवसर दोनों पेश करेंगी।
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